प्याज भारतीय रसोई का अभिन्न हिस्सा है जिसके कारण देश में प्याज की खेती (Pyaj Ki Kheti) मांग साल भर बनी रहती है। भारत प्याज उत्पादन में दुनिया में दूसरे स्थान पर है, जहां 2020-21 में 16.24 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में प्याज की खेती (Pyaj Ki Kheti) की गई। यदि सही तरीके से खेती की जाए, तो एक एकड़ से 2-4 लाख रुपये तक का मुनाफा कमाया जा सकता है।

प्याज की खेती का समय और मौसम
प्याज की खेती (Pyaj Ki Kheti) भारत में तीन मुख्य मौसमों में की जाती है – खरीफ, रबी और जायद। इनमें रबी की फसल मुख्य है जो कुल उत्पादन का 60% हिस्सा है, जबकि खरीफ और देर खरीफ प्रत्येक 20% हिस्सा देते हैं।
खरीफ प्याज (बरसाती प्याज की खेती (Kharif Pyaj Ki Kheti))
- नर्सरी का समय: मई-जून-जुलाई मे की जाती है।
- रोपाई का समय: जुलाई-मध्य अगस्त मे की जाती है।
- कटाई का समय: अक्टूबर-दिसंबर मे प्याज की कटाई की जाती है।
- उपयुक्त किस्में: भीमा सुपर, भीमा डार्क रेड, भीमा रेड, एग्रीफॉर्म डार्क रेड इत्यादि।
खरीफ मौसम में विशेष ध्यान देने वाली बात ये है की वर्षा अधिक होने के कारण प्याज की फसल की बेड विधि से खेती करें और जल निकासी का उचित प्रबंधन करें।
रबी प्याज की खेती (Rabi Pyaj Ki Kheti)(मुख्य फसल)
- नर्सरी का समय: अक्टूबर-नवंबर मे होती है।
- रोपाई का समय: दिसंबर-जनवरी मे की जाती है।
- कटाई का समय: मार्च-मई होती है।
- उपयुक्त किस्में: भीमा शक्ति, भीमा किरण, भीमा श्वेता, नासिक रेड इत्यादि।
रबी प्याज की खेती सबसे अधिक लाभदायक मानी जाती है क्योंकि इसमें भंडारण क्षमता अच्छी होती है और बाजार में अच्छे दाम मिलते हैं।
जायद प्याज की खेती (Jayad Pyaj Ki Kheti) (गर्मी की फसल)
- नर्सरी का समय: 15 जनवरी से 30 जनवरी के अंदर करते है।
- रोपाई का समय: फरवरी-मार्च मे करते है।
- कटाई का समय: अप्रैल-जून तक कर लेते है।
प्याज की खेती (Pyaj Ki Kheti) के लिए मिट्टी और भूमि की तैयारी
उपयुक्त मिट्टी
प्याज की खेती (Pyaj Ki Kheti) लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन बलुई दोमट से चिकनी मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। बस ये ध्यान देना है की मिट्टी मे अच्छी जल निकासी और नमी धारण क्षमता होनी चाहिए।
मिट्टी का pH मान: 5.7 से 7.0 (आदर्श 6.5) प्याज के लिए उपयुक्त होता है।
विशेषज्ञ सलाह: जैसा की हमारे एक्सपर्ट या विशेषज्ञ बताते है की प्याज की खेती (Pyaj Ki Kheti) शुरू करने से पहले आप अनिवार्य रूप से मृदा परीक्षण करवाएं। इससे आपको पता चलेगा कि आपके मिट्टी में किन पोषक तत्वों की कमी है और कितनी मात्रा में खाद डालनी है।
खेत की तैयारी
1. गहरी जुताई: खेत को 5-6 बार जुताई करके भुरभुरा बना लें।
2. गोबर की खाद: रोपाई से 1-2 महीने पहले 20-25 टन प्रति हेक्टेयर (प्रति एकड़ 3-4 ट्रॉली) अच्छी तरह सड़ी गोबर की खाद को मृदा मे अच्छे से मिलाएं।
3. धूप लगाना: खाद डालने के बाद खेत को 8-10 दिन खुली धूप में छोड़ दें। इससे मिट्टी में मौजूद हानिकारक कीट और रोगाणु नष्ट हो जाते हैं।
4. ट्राइकोडर्मा उपचार: मिट्टी को उपचारित करने के लिए 1 किलो गोबर खाद में 10 ग्राम ट्राइकोडर्मा मिलाकर 8 दिन रखें, फिर 100 किलो गोबर खाद में मिलाकर मिट्टी में छिड़काव करें।
प्याज की उन्नत किस्में (2026)
ICAR-प्याज एवं लहसुन अनुसंधान निदेशालय (DOGR), पुणे द्वारा विकसित और राष्ट्रीय स्तर पर अनुमोदित नवीनतम किस्में
भीमा सुपर (Bhima Super)
- रंग: इसका रंग गहरा लाल होता है।
- मौसम: खरीफ और देर खरीफ दोनों के लिए उपयुक्त होता है।
- उपज: खरीफ में 20-22 टन/हेक्टेयर, देर खरीफ में 40-45 टन/हेक्टेयर
- परिपक्वता: खरीफ में 100-105 दिन, देर खरीफ में 110-120 दिन मे पककर तैयार हो जाती है।
- विशेषता: सिंगल सेंटर्ड बल्ब (95%), उत्कृष्ट रंग और आकार
भीमा डार्क रेड (Bhima Dark Red)
- रंग: आकर्षक गहरा लाल और चपटा गोलाकार होता है।
- मौसम: खरीफ का मौसम उपयुक्त होता है।
- उपज: 20-22 टन/हेक्टेयर
- परिपक्वता: 95-100 दिन रोपाई के बाद (DAT)
- विशेषता: बाजार में उच्च मांग और अच्छी भंडारण क्षमता होती है।
भीमा शक्ति (Bhima Shakti)
मौसम: रबी
उपज: 28.9 टन/हेक्टेयर
विशेषता: बेहतरीन गुणवत्ता के साथ ही साथ कम बोल्टिंग (ऐसे सब्जी जो की समय से पहले फूल और बीज पैदा करने लगती है जैसे की पालक ) वाली होती है। जो की उत्तर भारत के लिए उपयुक्त होती है।
भीमा श्वेता (Bhima Shweta)
- रंग: सफेद
- मौसम: खरीफ और रबी दोनों के लिए उपयुक्त होता है।
- उपज: खरीफ में 18-20 टन/हेक्टेयर, रबी में 26-30 टन/हेक्टेयर
- भंडारण: 3 महीने तक कर सकते है।
- विशेषता: प्रोसेसिंग और निर्यात के लिए उत्कृष्ट होता है।
अन्य लोकप्रिय किस्में
- पूसा रिद्धि: रबी के लिए, 33.5 टन/हेक्टेयर उपज।
- नासिक रेड (N-53)
- भीमा राज: खरीफ के लिए उत्कृष्ट, 29.8 टन/हेक्टेयर।
- भीमा किरण: रबी मौसम के लिए, 28.8 टन/हेक्टेयर।
नर्सरी तैयार करना – वैज्ञानिक विधि

नर्सरी किसी भी फसल की नीव होती है जो की स्वस्थ और मजबूत पौध तैयार करती है।
नर्सरी भूमि का चयन और तैयारी
- मिट्टी: उपजाऊ और भुरभुरी उपयुक्त होती है।
- क्यारी का आकार: लंबाई-चौड़ाई 3 मीटर × 0.6 मीटर, ऊंचाई 15 सेमी, लगभग 40 क्यारियां/एकड़
- गोबर खाद: प्रति एकड़ नर्सरी के लिए 4 ट्रॉली सड़ी गोबर खाद उपयुक्त होती है।
बीज की मात्रा और उपचार
बीज दर:
- रबी मौसम: 2.5-3 किलो/एकड़
- खरीफ मौसम: 3 किलो/एकड़
- जायद मौसम: 3 किलो/एकड़
बीज उपचार विधि:
प्याज के बीज को 18-24 घंटे पानी में भिगोएं फिर छानकर गीले सूती कपड़े में लपेटकर रखें जिससे की बीज अंकुरित हो जाए। बीज को उपचारित करने के लिए कैप्टान या थीरम 2.5 ग्राम/किलो का उपयोग करे।
वैकल्पिक:
प्याज की बीज को ट्राइकोडर्मा से उपचार करें (10 ग्राम/लीटर पानी)
बुवाई की विधि
1. प्याज की खेती (Pyaj Ki Kheti) मे क्यारी में लाइन से लाइन की दूरी 5-7 सेमी रखें।
2. बीज को 1-2 सेमी गहराई पर बोएं।
3. बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें।
4. क्यारी को घास-फूस या पुआल से ढक दें।
नर्सरी की देखभाल
- सिंचाई: नियमित रूप से हल्की सिंचाई करे और गर्मी में दिन में 2 बार सिचाई करे।
- रोग नियंत्रण: रेडोमिल 2 ग्राम/लीटर का छिड़काव डैम्पिंग ऑफ रोग से बचाव के लिए
- पौध तैयार होने का समय: 45-55 दिन म तैयार हो जाती है।
- रोपाई योग्य पौध: 15-20 सेमी लंबाई और पेंसिल की मोटाई जितनी होनी चाहिए।
विशेषज्ञ टिप: नर्सरी की पौध को रोपाई से पहले बाविस्टीन 2 ग्राम/लीटर के घोल में 15-20 मिनट डुबोकर रखें। इससे बैंगनी धब्बा रोग से बचाव होता है।
प्याज की खेती (Pyaj Ki Kheti) के लिए रोपाई की विधि और दूरी
रोपाई का उचित समय
- रबी: दिसंबर-जनवरी (महाराष्ट्र में 20 अक्टूबर) का महीना उत्तम होता है।
- खरीफ: जुलाई-अगस्त (30 अगस्त तक सर्वोत्तम) का महीना उत्तम होता है।
- जायद: फरवरी-मार्च का माह उत्तम होता है।
महत्वपूर्ण: पौध की उम्र 50 दिन से अधिक नहीं होनी चाहिए।
रोपाई की दूरी
पारंपरिक विधि:
- लाइन से लाइन की दूरी 15 सेमी (6 इंच) तक होती है।
- पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी (4-5 इंच) होती है।
बेड विधि (वर्षा अधिक क्षेत्रों के लिए):
- बेड की चौड़ाई: 90-120 सेमी होती है।
- बेड के बीच की दूरी: 30-45 सेमी होती है।
- यह विधि जल निकासी के लिए उत्कृष्ट है।
ड्रिप सिंचाई के साथ – लाइन से लाइन 45 सेमी तथा पौधे से पौधे: 10-15 सेमी दूरी होती है।
रोपाई का सही तरीका
रोपाई से आप 4-8 घंटे पहले खेत में हल्की सिंचाई करें। पौधे को 4-5 सेमी गहराई तक लगाएं ध्यान से जड़ों को सीधा नीचे की ओर रखें. रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई अवश्य करें. रोपाई के लिए शाम का समय सबसे उत्तम होता है।
प्याज की खेती (Pyaj Ki Kheti) के लिए खाद और उर्वरक प्रबंधन (Package of Practices)
प्याज एक पोषक तत्व प्रतिक्रियाशील फसल है और संतुलित पोषण प्रबंधन से उपज में काफी वृद्धि होती है।
अनुशंसित खाद की मात्रा (प्रति हेक्टेयर)
जैविक खाद: जैविक खाद मे मुख्य रूप से गोबर की खाद 20-25 टन (प्रति एकड़ 8-10 टन) , वर्मीकम्पोस्ट 2-3 क्विंटल/एकड़ (यदि गोबर खाद की जगह) तथा नीम खली 250 किलो (वैकल्पिक) का उपयोग करे।
रासायनिक उर्वरक: इसमे मुख्यतः नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश और सल्फर इस्तेमाल लिए जाते है जिनकी प्रति हेक्टेयर मात्रा निम्न है:
- नाइट्रोजन (N): 100-150 किलो
- फॉस्फोरस (P₂O₅): 50-80 किलो
- पोटाश (K₂O): 50-125 किलो
- सल्फर (S): 30 किलो
विशिष्ट अनुशंसा (नासिक, महाराष्ट्र के लिए):
NPK @ 100:50:50:30 + FYM @ 20 टन + Azotobacter @ 5 किलो + PSB @ 5 किलो प्रति हेक्टेयर।
उर्वरक देने का समय और विधि
बेसल (रोपाई के समय)
रोपाई के समय फॉस्फोरस की संपूर्ण मात्रा,पोटाश की कुल मात्रा का 60% और नाइट्रोजन की कुल मात्रा का 1/3 भाग का प्रयोग करे।
प्रथम टॉप ड्रेसिंग (रोपाई के 30 दिन बाद):
- नाइट्रोजन की अगली 1/3 भाग को प्रथम टॉप ड्रेसिंग मे प्रयोग करे |
द्वितीय टॉप ड्रेसिंग (रोपाई के 45 दिन बाद):
- नाइट्रोजन का शेष 1/3 भाग तथा पोटाश का शेष 40% को रोपाई के 45 दिन बाद देना चाहिए।
महत्वपूर्ण: कंद निर्माण शुरू होने से पहले सभी टॉप ड्रेसिंग पूर्ण कर लें।
फर्टिगेशन के माध्यम से पोषण (ड्रिप सिंचाई के साथ)
रोपाई के 2-6 सप्ताह बाद:
नाइट्रोजन 14 किलो/हेक्टेयर/सप्ताह तथा पोटाश (K₂O) 40 किलो/हेक्टेयर को मिलाकर अच्छे से प्रयोग करे।
रोपाई के 8-12 सप्ताह बाद (कंद विकास चरण):
नाइट्रोजन: 6.5 किलो/हेक्टेयर/सप्ताह तथा पोटाश (K₂O): 50 किलो/हेक्टेयर का प्रयोग करे।
सूक्ष्म पोषक तत्व (35-40 दिन बाद)
जिंक (Magna Zinc): 250 मिली/एकड़ और बोरोन (Magna Boron): 200 मिली/एकड़ का प्रयोग करना उत्तम माना जाता है।
विशेषज्ञ अनुभव: मैंने अपने फील्ड अनुभव में देखा है कि ड्रिप फर्टिगेशन से न केवल उपज में 20-25% की वृद्धि होती है बल्कि जल और उर्वरक की बचत भी 30-40% तक होती है।
प्याज की खेती (Pyaj Ki Kheti) के लिए सिचाई प्रबंधन- सही समय और मात्रा
प्याज की फसल में सही समय पर सही मात्रा में पानी देना अत्ययांत महत्वपूर्ण है।
सिंचाई की आवश्यकता
प्याज की जल आवश्यकता: 2000-3500 m³/हेक्टेयर/वर्ष (क्षेत्र और मौसम के अनुसार)
पारंपरिक सिंचाई विधि
सिंचाई का अंतराल:
- रबी मौसम: 8-10 दिन के अंतराल पर हल्की सिंचाई देनी चाहिए।
- खरीफ मौसम: वर्षा के आधार पर, 12-15 दिन के अंतराल पर सिचाई करनी चाहिए।
महत्वपूर्ण चरण:
- रोपाई के तुरंत बाद: पहली सिंचाई अनिवार्यरूप से करनी चाहिए।
- कंद निर्माण के समय: नियमित सिंचाई, पानी की कमी नहीं होनी चाहिए।
- कंद विकास चरण: 8-10 दिन के अंतराल पर सिचाई करे।
अंतिम सिंचाई:
- कटाई से 10-15 दिन पहले सिंचाई पूर्णतः बंद कर दें।
- इससे कंद का छिलका सूख जाता है और भंडारण क्षमता बढ़ती है।
ड्रिप सिंचाई – आधुनिक और कुशल विधि
लाभ:
जल दक्षता ( जल दक्षता का अर्थ है कम पानी से अधिक काम करना ) 90% तक होती है।
- जल की बचत: 40% तक होती है।
- उपज में वृद्धि: 13-24% तक की वृद्धि होती है।
- फफूंदनाशक उपचार में कमी (पत्तियां गीली नहीं होतीं) होती है।
सिंचाई अनुसूची:
- रबी: 1.25 CPE (Cumulative Pan Evaporation) पर सिचाई करे।
- हर 2-3 दिन में सिंचाई (मौसम और NDWI के आधार पर) की जाती है।
विशेषज्ञ सलाह: महाराष्ट्र के घोड़ नदी बेसिन में किए गए हालिया अध्ययन (2022-23) में पाया गया कि रेज्ड बेड + ड्रिप सिंचाई विधि से पानी की बचत देर खरीफ में 24.52% और खरीफ के बाद 28.79% तक हुई, साथ ही जल उत्पादकता दोगुनी हो गई।
प्याज की खेती (Pyaj Ki Kheti) के लिए निराई-गुड़ाई और खरपतवार नियंत्रण
हाथ से निराई-गुड़ाई
- प्रथम निराई: रोपाई के 30 दिन बाद करे।
- द्वितीय निराई: प्रथम निराई के 30 दिन बाद करे।
- तृतीय निराई: आवश्यकतानुसार ( जब लगे की खरपतवार ज्यादा हो रहे तो करे)
कुल 2-3 निराई-गुड़ाई पर्याप्त है।
रासायनिक खरपतवार नियंत्रण
प्याज की फसल में विभिन्न चयनात्मक शाकनाशियों का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन विशेषज्ञ सलाह के अनुसार ही प्रयोग करें।
सावधानी: प्याज एक संवेदनशील फसल है, इसलिए शाकनाशी का प्रयोग अत्यंत सावधानी से करें।
कीट प्रबंधन – प्रमुख कीट और नियंत्रण
थ्रिप्स (Thrips)
लक्षण: पत्तियों पर चांदी जैसे धब्बे पड जाते है और पत्तियां मुड़ जात है और सात ह साथ पौधों का विकास भी रुक जाता है।
नियंत्रण:
- रोपाई से पहले पौध को थ्रिप्स मुक्त रखें
- डेल्टामेथ्रिन: 1 मिली/लीटर
- फिप्रोनिल 5% EC: 2 मिली/लीटर या 80% EC @ 2 ग्राम/15 लीटर पानी
- स्पिनोसैड 45% SC: 1 मिली/लीटर
- मक्का की बॉर्डर क्रॉपिंग (मुख्य फसल के चारों ओर एक पर्दा बनाने के लिए बॉर्डर क्रॉप का उपयोग करने से कई गैर-स्थायी विषाणु रोगों से सुरक्षा मिली है) से थ्रिप्स का प्रकोप कम होता है।
लाल मकड़ी (Red Spider Mite)
नियंत्रण:
- नीम अर्क 4% (4 किलो नीम पाउडर/100 लीटर पानी) डालकर अच्छे से मिलकर उपयोग करे।
- सल्फर पाउडर (300 मेश) @ 8 किलो/एकड़ तथा एबामेक्टिन (1.9 EC): 4 मिली/20 लीटर पानी डालकर उपयोग करे।
बल्ब माइट (Bulb Mite)
नियंत्रण:
- प्याज की खेती (Pyaj Ki Kheti) मे रोग मुक्त रोपण सामग्री का उपयोग करे।
- रोग मुक्त खेती के लिए फसल चक्र अपनाएं।
- प्याज की खेती (Pyaj Ki Kheti) अधिक पानी और नाइट्रोजन देने से बचें।
प्याज की खेती (Pyaj Ki Kheti) के लिए रोग प्रबंधन – प्रमुख रोग और उपचार
बैंगनी धब्बा (Purple Blotch)
कारण: Alternaria porri कवक
लक्षण: पत्तियों और फूलों की डंठल पर गुलाबी किनारे वाले बैंगनी धब्बे दिखाई देते है।
नियंत्रण:
- मैंकोजेब (0.25%) + मोनोक्रोटोफॉस (0.05%) का छिड़काव करे और 15 दिन के अंतराल पर 2-3 छिड़काव करे।
- खेत की सफाई और फसल अवशेषों को जला दे।
स्टेम्फीलियम ब्लाइट (Stemphylium Blight)
लक्षण: पत्तियों पर पीले-भूरे धब्बे दिखाई देते है।
नियंत्रण:
- क्लोरोथैलोनिल (0.2%) या इप्रोडियोन (0.25%) और रोपाई के एक महीने बाद से पाक्षिक छिड़काव करे।
डाउनी मिल्ड्यू (Downy Mildew)
नियंत्रण:
- उचित खेत स्वच्छता का ध्यान दे।
- प्रभावित पौधों को खेत से हटा दे।
- अधिक नमी और ओवरहेड सिंचाई से बचें।
बेसल रॉट (Fusarium Basal Rot)
लक्षण: पत्तियों का पीला पड़ना, बौनापन तथा जड़ों का सड़ना मुख्य लक्षण है।
नियंत्रण:
- बीज उपचार: कैप्टान या थीरम @ 2.5 ग्राम/किलो से करे।
- मिट्टी में मैंकोजेब (0.25%) का ड्रेंचिंग करे।
- ट्राइकोडर्मा विराइड का मृदा अनुप्रयोग।
प्याज की कटाई – सही समय और विधि

कटाई का उचित समय पहचानना
कटाई के संकेत:
1.कटाई के लिय 50-80% पत्तियां पीली पड़कर सूख जाएं और नीचे गिर जाएं।
3. बाहरी छिलका पूरी तरह से सूख जाए।
4. अंतिम सिंचाई के 10-15 दिन बाद कटाई कर ले।
परिपक्वता समय:
- खरीफ: 100-110 दिन
- रबी: 120-150 दिन
- जायद: 90-100 दिन
कटाई की विधि
1. मौसम का चयन: कटाई के लिए साफ और धूपदार मौसम चुनें, आगामी 7-8 दिनों में बारिश की संभावना नहीं होनी चाहिए।
2. खुदाई: हाथ से या मशीन से सावधानीपूर्वक उखाड़ें।
3. मिट्टी अलग करना: कंदों से अतिरिक्त मिट्टी हटाएं।
4. फील्ड क्यूरिंग: कंदों को पंक्तियों में फैलाएं और ऊपर से पत्तियों से ढक दें ताकि सीधी धूप न लगे।
5. समय: खेत में 8-10 दिन तक सुखाएं।
औसत उपज:
- अच्छी खेती से: 200-250 क्विंटल/हेक्टेयर (80-100 क्विंटल/एकड़)।
- उन्नत तकनीक से: 300-350 क्विंटल/हेक्टेयर।
प्याज का क्यूरिंग (सुखाई)
क्यूरिंग लंबे समय तक भंडारण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
प्राकृतिक क्यूरिंग
विधि:
1. प्याज को खेत में 5-14 दिन विंड्रो में छोड़ें।
2. तापमान: 75-90°F (24-32°C) सर्वोत्तम।
3. छाया में सुखाने से रंग और गुणवत्ता बेहतर होती है।
पूर्ण क्यूरिंग के संकेत:
- गर्दन कसी हुई और सूखी हो
- बाहरी छिलके सूखकर खड़खड़ाने लगें
- वजन में 3-5% की कमी आए
कृत्रिम क्यूरिंग (Bulk Curing)
तापमान: 30°C पर कृत्रिम गर्मी के साथ हवा प्रवाहित करें।
टॉपिंग (पत्तियां काटना)
- पत्तियां पूरी तरह सूखने के बाद ही काटें।
- हरी पत्तियों को काटने से Botrytis neck rot हो सकता है।
- गर्दन से 2.5-5 सेमी ऊपर काटें।
प्याज का भंडारण – नुकसान से बचाव और लंबे समय तक सुरक्षित रखना
भारत में प्याज भंडारण के दौरान 50-90% तक नुकसान हो सकता है, जो शारीरिक वजन घटना (30-40%), सड़न (20-30%) और अंकुरण (20-40%) से होता है। सही भंडारण तकनीक से इसे काफी कम किया जा सकता है।
भंडारण के लिए उपयुक्त प्याज का चयन
भंडारण योग्य प्याज:
- प्याज को अच्छे से क्यूर किया गया।
- प्याज की पत्तियां पूरी तरह सूखी (हरी पत्ती वाला प्याज नहीं)।
- ध्यान रहे प्याज का भंडारण मे प्याज चोट, कट या रोग मुक्त होना चाहिए ।
- प्याज की रखाव मे प्याज को मध्यम से बड़े आकार का रखा जाना चाहिए ।
नहीं रखे जाने वाले प्याज:
- प्याज की रखाव मे दोहरा कंद, मोटी गर्दन वाला प्याज को हटा देना चाहिए |
- अंकुरित या हरे रंग का प्याज को अलग कर लेना चाहिए |
- क्षतिग्रस्त या रोगग्रस्त को ध्यानपूर्वक अलग कर लेना चाहिए जिससे की बाकी प्याज को नुकसान न हो |
भंडारण की आदर्श स्थितियां
वेंटिलेटेड भंडारण (भारत में सबसे सामान्य): इस भंडारण मे तापमान 25-30°C तथा आर्द्रता 65-70% RH पर हम प्याज को 6 महीने तक रख सकते है |
कोल्ड स्टोरेज:
- तापमान: 0-5°C
- आर्द्रता: 60-65% RH
- नुकसान: केवल 5% (6 महीने में)
भंडारण संरचनाएं
1. पारंपरिक बांस-फूस संरचना:
इस भंडारण मे कम लागत के साथ ही साथ निर्माण में आसान भी बहुत आसानी होती है और आज भी इसका इसका उपयोग छोटे किसान करते है | इस भंडारण मे नुकसान 42% तक (4 महीने में) हो जाती है।
2. सुधरी हुई वेंटिलेटेड संरचना:
मुख्य विशेषताएं:
- इस भंडारण मे जमीन से 60 सेमी ऊपर उठा हुआ प्लेटफॉर्म बनाया जाता है।
- मैंगलोर टाइल या उपयुक्त छत बनाई जाती है।
- बढ़ी हुई केंद्रीय ऊंचाई और ढलान को बनाई जाती है।
- नीचे और साइड से वेंटिलेशन की व्यवस्था होती है।
- पूर्व-पश्चिम दिशा में लंबाई मे बनाई जाती है।
ऊंचाई: प्लेटफॉर्म 90-150 सेमी
3. DOGR कोल्ड स्टोरेज (नवीन तकनीक):
- तापमान: 27±2°C, RH: 60-65%
- एयर सर्कुलेशन सिस्टम होता है, जिससे की कम ऊर्जा खपत होती है |
- पेटेंट तकनीक (आवेदन संख्या: 201821049581)
- ये भंडारण तो किसान भी अपने खेत पर बना सकते हैं |
4. किफायती देसी जुगाड़ (किसान मनोहर का मॉडल):
- टीन शेड संरचना सबसे सस्ता और सरल भंडारण गृह होता है |
- ये मुख्यरूप से जमीन से 4 इंच ऊपर उठी संरचना बनाई जाती है |
- क्रॉस वेंटिलेशन की व्यवस्था को भी ध्यान दिया जाता है |
- लोहे की जाली पर प्याज भंडारण किया जाता है |
- बीच-बीच में एग्जॉस्ट फैन की उचित व्यवस्था की जताई है |
- इस देशी जुगाड़ मे प्याज कू एक साल तक सुरक्षित रख सकते है |
- CCTV निगरानी व्यवस्था होनी चाहिए |
भंडारण के दौरान सावधानियां
1. नियमित जांच: सप्ताह में एक बार सड़े/अंकुरित कंदों को निकालें |
2. वेंटिलेशन: पर्याप्त हवा संचार बनाए रखना बहुत ही जरूरी होता है |
3. प्रकाश से बचाव: प्याज को अंधेरे में रखें क्योंकि प्रकाश से प्याज मे अंकुरण होगा और प्याज जल्दी खराब हो जाएगे |
4. नमी नियंत्रण: अगर प्याज मे अधिक नमी होगी तो प्याज सडने लगेगा और ठीक वही कम नमी से प्याज सिकुड़ने लगेगा इसलिए नमी का ध्यान रखना बेहद जरूरी है |
5. कभी भी प्लास्टिक बैग में न रखें: भंडारण के समय प्याज को मेश बैग या सूती बोरे मे ही रखे जिससे की प्याज खराब नहीं होंगे |
विशेषज्ञ टिप: मेरे अनुभव में, किसानों को तत्काल बिक्री के दबाव से बचने के लिए कम से कम 3-4 महीने भंडारण की सुविधा अवश्य रखनी चाहिए। सही भंडारण से आप ऑफ-सीजन में 50-100% अधिक मूल्य प्राप्त कर सकते हैं।
प्याज का ग्रेडिंग और पैकेजिंग
ग्रेडिंग मानक
प्याज को आकार और गुणवत्ता के आधार पर श्रेणीबद्ध करें:
आकार के आधार पर:
- बड़ा: 5.5 सेमी से अधिक व्यास
- मध्यम: 4-5.5 सेमी व्यास
- छोटा: 2.5-4 सेमी व्यास
निकाले जाने वाले: प्याज की मानक को ध्यान मे रखते हुए अपरिपक्व तथा सड़े और धूप से जले प्याज को निकाल कर अगल कर ले और ध्यान रहे यांत्रिक रूप से क्षतिग्रस्त तथा दोहरे कंद और द्वितीयक वृद्धि वाले प्याज को भी अलग कर ले |
पैकेजिंग
- थोक: 50 किलो की बोरियां
- खुदरा: 2, 5, 25 किलो के मेश बैग
- निर्यात: विशिष्ट आकार और पैकिंग मानक
प्याज का अंतरवर्तीय फसल और फसल चक्र
अंतरवर्तीय खेती (Intercropping)
प्याज के साथ उपयुक्त फसलें:
1. गन्ना: युग्मित पंक्ति विधि (नवंबर-दिसंबर रोपण), ड्रिप सिंचाई के साथ
- 90 सेमी दूरी पर क्यारी बनाएं
- हर दो पंक्तियों के बाद 180 सेमी चौड़ी समतल क्यारी में प्याज
2. मूंगफली-प्याज: अन्तर्वर्तीय फसल मे ये बहु लाभ तथा उच्च आर्थिक रिटर्न देता है |
3. टमाटर-आलू-प्याज: मिट्टी स्वास्थ्य में सुधार के साथ ही साथ उच्च उपज मे भी सहयोग करता है |
4. हल्दी और केला: प्याज की बीच की पंक्तियों में ये फसल लगा सकते है |
लाभ:
- अन्तर्वर्तीय फसल मुख्य रूप से भूमि का बेहतर उपयोग के लिए एक अच्छा माध्यम है |
- ये प्रति इकाई क्षेत्र आय में वृद्धि का भी बेहतर विकल्प है |
- कीट और रोग प्रबंधन में सहायता मे भी सहायता करती है |
फसल चक्र
अनुशंसित चक्र:
1. मक्का – आलू – प्याज
2. टमाटर – प्याज
3. प्याज – दलहनी फसल (मटर): मिट्टी में नाइट्रोजन बढ़ाता है
लाभ:
- मिट्टी की उर्वरता बनाए रखना मे काफी हद तक सहायता करती है |
- रोग और कीट चक्र तोड़ना मे अपना योगदान करती है |
- पोषक तत्वों का संतुलित उपयोग के लिए भी फसल चक्र बहुत जरूरी है |
सावधानी: प्याज को लगातार एक ही खेत में न उगाएं। 2-3 साल का अंतराल रखें।
जैविक प्याज की खेती (Jaivik Pyaj Ki Kheti)
जैविक प्याज की बाजार में बढ़ती मांग और 20-30% अधिक मूल्य को देखते हुए यह एक लाभदायक विकल्प है।
मुख्य सिद्धांत
1. कोई रासायनिक उर्वरक या कीटनाशक नहीं
2. प्राकृतिक और जैविक निविष्टियों का उपयोग
3. मिट्टी स्वास्थ्य और जैव विविधता पर ध्यान
जैविक खाद प्रबंधन
मुख्य स्रोत:
- गोबर खाद: 25-30 टन/हेक्टेयर का प्रयोग उचित होता है।
- वर्मीकम्पोस्ट: 5-7 टन/हेक्टेयर का प्रयोग करे।
- नीम खली: 500-750 किलो/हेक्टेयर का प्रयोग करे।
- रॉक फॉस्फेट: जैविक फॉस्फोरस स्रोत का प्रयोग करे।
- जीवामृत: पोषक तत्व और सूक्ष्मजीव का प्रयोग करे।
- गोमूत्र: कीटनाशक और वृद्धि नियामक का प्रयोग करे।
जैविक कीट-रोग नियंत्रण
कीटों के लिए:
- नीम का रस: 50 ग्राम पत्ती/लीटर पानी
- लहसुन-मिर्च का घोल
- गोमूत्र: 10% घोल का छिड़काव
रोगों के लिए:
- ट्राइकोडर्मा: मृदा जनित रोगों के लिए
- छाछ (बटरमिल्क): फफूंद रोगों के लिए
- बोर्डो मिश्रण: जैविक फफूंदनाशक
जैविक प्रमाणन और बाजार
- राष्ट्रीय जैविक कार्यक्रम (NPOP) से प्रमाणन प्राप्त करें
- सीधे जैविक बाजारों, सुपरमार्केट या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बेचें
- निर्यात की अच्छी संभावनाएं
सफलता की कहानी: राजकुमार आर्य ने केवल गोबर की खाद और जैविक पोषक तत्वों से प्याज की उत्कृष्ट पैदावार ली और बाजार में प्रीमियम मूल्य प्राप्त किया।
प्याज का बाजार मूल्य और आर्थिक विश्लेषण (2026)
वर्तमान बाजार स्थिति (2026)
भारत में प्याज की कीमतें मौसम और सरकारी नीतियों के कारण अत्यधिक अस्थिर रहती हैं।
हालिया मूल्य रुझान:
- जून 2025: भारी बारिश से फसल क्षति के कारण 20% वृद्धि
- मार्च 2025: कर्नाटक में ₹2,489.90/क्विंटल (फरवरी में ₹2,791.22 से कम)
- अगस्त 2025: औसत ₹2,643.75/क्विंटल (₹1,200 से ₹5,500 की रेंज में)
एक एकड़ से लागत-लाभ विश्लेषण (रबी मौसम)
अनुमानित लागत:
- नर्सरी तैयारी: ₹5,000
- खेत तैयारी और जुताई: ₹3,000
- बीज/पौध: ₹4,000
- खाद और उर्वरक: ₹8,000
- सिंचाई: ₹4,000
- कीटनाशक/रोगनाशक: ₹3,000
- श्रम (रोपाई, निराई, कटाई): ₹15,000
- विविध: ₹3,000
कुल लागत: ₹45,000-50,000/एकड़
अनुमानित आय:
- उपज: 200 क्विंटल/एकड़ (औसत)
- बाजार मूल्य: ₹15/किलो (थोक भाव)
- कुल आय: ₹3,00,000
शुद्ध लाभ: ₹2,50,000 – ₹2,55,000/एकड़
उच्च मूल्य पर (₹25/किलो):
- कुल आय: ₹5,00,000
- शुद्ध लाभ: ₹4,50,000/एकड़
विशेषज्ञ टिप: कीमतों के उतार-चढ़ाव से बचने के लिए, उत्पादन का 60% तत्काल बेचें और 40% भंडारण करके ऑफ-सीजन में बेचने की रणनीति अपनाएं।
प्याज बीज उत्पादन – और भी अधिक लाभदायक
सोलापुर के किसान मोतीराम धोडमिशे ने केवल 12 गुंठे (लगभग 0.3 एकड़) में प्याज बीज उत्पादन से ₹2-3 लाख का मुनाफा कमाया, जबकि लागत केवल ₹22,000 थी। पंजाब के मनजीत सिंह ने प्याज के बीज की किस्म X-1004 से पंजाब और हरियाणा में पुरस्कार जीते और सालाना ₹20-25 लाख कमाते हैं।
प्याज की खेती (Pyaj Ki Kheti) के सफलता की कहानियां – किसानों का अनुभव
1. बीड के सुंदर राठौड़ – पारंपरिक से प्याज की ओर
सुंदर राठौड़ कपास और सोयाबीन की कम आय से निराश होकर प्याज की खेती (Pyaj Ki Kheti) में आए। शुरुआत आधे एकड़ से की, फिर धीरे-धीरे 5 एकड़ तक विस्तार किया। आज वे सालाना ₹5-6 लाख कमाते हैं। उन्होंने बोरवेल और जल प्रबंधन में निवेश किया जो सफलता की कुंजी साबित हुआ।
2. पंजाब के मंजीत सिंह – गहने गिरवी से लाखों की कमाई
मंजीत सिंह पर ₹7 लाख का कर्ज था। 2013-14 में उन्होंने अपनी पत्नी के गहने गिरवी रखकर 0.01 बीघा में प्याज की नर्सरी शुरू की। एक साल में ही गहने छुड़वा लिए और कर्ज चुका दिया। आज 5 एकड़ में प्याज बीज और नर्सरी से ₹20-25 लाख सालाना कमाते हैं और 10 लोगों को रोजगार देते हैं।
3. नासिक का किसान मॉडल – 70 दिन में तैयार फसल
नासिक के किसानों ने सेट तकनीक (bulb to bulb) से प्याज की खेती (Pyaj Ki Kheti) में क्रांति ला दी है। यह तकनीक मात्र 70-80 दिन में व्यावसायिक प्याज तैयार करती है और प्रति एकड़ 10-12 टन उपज देती है। यह पारंपरिक नर्सरी विधि से 3-4 सप्ताह पहले तैयार हो जाती है।
प्याज की खेती (Pyaj Ki Kheti) के आधुनिक तकनीकें और नवाचार
ड्रिप सिंचाई + फर्टिगेशन
एक ऐसी तकनीक है जिसमें सिंचाई के साथ ही घुलनशील उर्वरकों और पोषक तत्वों को फसलों को दिया जाता है।
- जल की बचत: 40% तक होती है।
- उर्वरक दक्षता: 30% अधिक तक होती है।
- उपज में वृद्धि: 20-25% तक होती है।
- श्रम की बचत: 50% तक होती है।
प्याज की खेती (Pyaj Ki Kheti) के लिए सरकारी योजनाएं और सहायता (2026)
प्याज भंडारण योजना
NABARD द्वारा मॉडल स्कीम:
- 5, 10, 15, 25, 50 MT क्षमता के वेंटिलेटेड भंडारण
- अनुदान उपलब्ध (राज्यवार भिन्न)
उत्तर प्रदेश सरकार अनुदान (2026)
किसानों को प्याज खेती पर अनुदान:
- प्याज की खेती (Pyaj Ki Kheti): ₹20,000 (4 हेक्टेयर तक)
- जैविक प्याज की खेती: ₹1,500 (5 हेक्टेयर तक)
- ऑनलाइन/ऑफलाइन आवेदन
RKVY (राष्ट्रीय कृषि विकास योजना)
प्याज मूल्य श्रृंखला सुधार परियोजना – चरण 2 (ओडिशा)
निर्यात प्रोत्साहन
- अप्रैल 2025 में प्याज निर्यात पर 20% शुल्क हटाया गया।
- 2025-26 में 1.8-2.2 मिलियन टन प्याज के निर्यात की अनुमानित दी गई है।
प्याज की खेती (Pyaj Ki Kheti) के सामान्य समस्याएं और समाधान
समस्या 1: कंद का छोटा आकार
कारण: पोषक तत्वों की कमी, अपर्याप्त सिंचाई, घनी रोपाई
समाधान:
- संतुलित उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए।
- उचित दूरी पर रोपाई (10-15 सेमी) करनी चाहिए।
- पोटाश और सल्फर का पर्याप्त प्रयोग करना चाहिए।
समस्या 2: बोल्टिंग (फूल आना)
कारण: तापमान में उतार-चढ़ाव, अनुपयुक्त किस्म
समाधान:
- मौसम के अनुसार सही किस्म चुनें।
- रोपाई का सही समय चुने।
- भीमा शक्ति जैसी कम बोल्टिंग वाली किस्में कारगर साबित होती है।
समस्या 3: कंद का फटना (Splitting)
कारण: असमान सिंचाई, कैल्शियम की कमी
समाधान:
- नियमित अंतराल पर सिंचाई करे।
- कैल्शियम नाइट्रेट का फोलियर स्प्रे करें।
समस्या 4: भंडारण में सड़न
कारण: अधूरी क्यूरिंग या सुखना, चोट, रोग
समाधान:
- पूर्ण क्यूरिंग या सुखना (10-14 दिन) मे पूर्ण होता है।
- सावधानीपूर्वक हैंडलिंग से बचे।
- उचित वेंटिलेशन करे।
प्याज की खेती (Pyaj Ki Kheti) के लिए विशेषज्ञ सलाह – (सपना) के व्यावहारिक टिप्स
मैंने अपने MSc Ag (BHU) की पढ़ाई और जिला कृषि फील्ड मैनेजर के रूप में काम करते हुए सैकड़ों किसानों के साथ काम किया है। यहां मेरे कुछ व्यावहारिक सुझाव हैं:
शुरुआती किसानों के लिए
- छोटे से शुरुआत करें: पहले 1-2 एकड़ से शुरू करें, अनुभव प्राप्त करें।
- स्थानीय सफल किसानों से मिलें: उनके खेत देखें, अनुभव सीखें।
- कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से जुड़ें: मुफ्त प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता लाभ उठायें।
- मृदा परीक्षण अनिवार्य: यह ₹200-500 का निवेश हजारों का खर्च बचाता है।
उपज बढ़ाने के लिए
- उन्नत किस्मों का चयन: ICAR-DOGR की नवीनतम किस्में ही लगाएं।
- समय पर रोपाई: सही समय पर रोपाई से 20-30% अधिक उपज होता है।
- फर्टिगेशन अपनाएं: यदि संभव हो तो ड्रिप + फर्टिगेशन मे निवेश करें।
- सूक्ष्म पोषक तत्व न भूलें: जिंक, बोरोन की कमी उपज घटाती है अतः उचित मात्रा मे प्रयोग करें।
रोग-कीट प्रबंधन
- रोकथाम बेहतर: बीज और पौध उपचार पर ध्यान देना अतिआवश्यक।
- साप्ताहिक निगरानी: खेत में सप्ताह में 2 बार निरीक्षण आवश्यक है।
- समेकित दृष्टिकोण: रासायनिक के साथ जैविक विधियां भी उपयोग मे ले।
- फसल चक्र अनिवार्य: 2-3 साल का अंतर जरूर रखे।
मूल्य वसूली के लिए
- भंडारण सुविधा: प्याज के उत्पाद का कम से कम 30-40% भंडारित करें।
- ग्रेडिंग करें: अच्छी ग्रेडिंग से 15-20% अधिक मूल्य प्राप्त किया जा सकता है।
- FPO (किसान उत्पादक संगठन) से जुड़ें: सामूहिक विपणन शक्ति के लिए एक अच्छा माध्यम है।
- ऑनलाइन प्लेटफॉर्म: सीधे खुदरा बाजार तक पहुंचने का अच्छा माध्यम है।
निष्कर्ष और अगले कदम
प्याज की खेती (Pyaj Ki Kheti) भारतीय किसानों के लिए एक अत्यंत लाभकारी व्यवसाय है, बशर्ते वैज्ञानिक तरीके अपनाए जाएं। 2025 में नवीनतम तकनीकों, उन्नत किस्मों और बेहतर बाजार पहुंच के साथ प्याज की खेती (Pyaj Ki Kheti) से 2-4 लाख रुपये प्रति एकड़ तक की शुद्ध आय संभव है।
सफलता के मूल मंत्र:
- सही किस्म का चयन: अपने क्षेत्र और मौसम के अनुसार किस्मों का चुनाव करे।
- स्वस्थ पौध: नर्सरी पर विशेष ध्यान दे।
- संतुलित पोषण: मृदा परीक्षण आधारित पौधों का पोषण तैयार करे।
- जल प्रबंधन: कंद विकास चरण में पर्याप्त पानी की व्यवस्था करे।
- समय पर कीट-रोग नियंत्रण: निगरानी और त्वरित कार्रवाई करना बेहद जरूरी है।
- उचित भंडारण: मूल्य वसूली के लिए भंडरण की व्यवस्था बहुत जरूरी है।
तत्काल कार्य योजना:
अभी करें:
- मृदा परीक्षण के लिए नमूना भेजें
- आगामी मौसम के लिए किस्म चुनें
- स्थानीय KVK से संपर्क करें
- बीज/पौध की व्यवस्था शुरू करें
नर्सरी समय (मौसम के अनुसार):
- खरीफ: मई-जून
- रबी: अक्टूबर-नवंबर
- जायद: जनवरी
आधुनिक उपकरणों में निवेश करें:
- ड्रिप सिंचाई सिस्टम
- स्प्रेयर
- मृदा नमी मापक
सतत सीखना:
- कृषि मेलों और प्रदर्शनियों में भाग लें
- प्रगतिशील किसानों के साथ जुड़ें
- ऑनलाइन कृषि समुदायों का हिस्सा बनें
- नवीनतम शोध और तकनीक से अपडेट रहें
याद रखें: प्याज की खेती (Pyaj Ki Kheti) एक कला और विज्ञान दोनों है। पहले 1-2 मौसम अनुभव प्राप्त करने में लगाएं, फिर धीरे-धीरे विस्तार करें। धैर्य, कड़ी मेहनत और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से आप निश्चित रूप से सफल होंगे।