आएये हम जानते है फसल क्या होता है और भारत में मुख्यतः कितने प्रकार की फसल बोए जाते है
जैसा कि हम जानते है भारत एक कृषि प्रधान देश है यहाँ प्राचीनकाल से ही कृषि का कार्य मुख्य रूप से किया जा रहा है कृषि द्वारा भारत की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनानें में अहम योगदान रहा है| अगर बात करे कृषि की शुरुआत कि भारत में कब और कैसे हुई, इसको बता पाना काफी कठिन है| हालाँकि भारत के लोगो में कृषि एक मुख्य जीविका का साधन ही नहीं किन्तु सांस्कृतिक और ऐतिहासिक का अमानत भी है| अगर हम वर्तमान की बात करे तो अभी भी लाखों लोग अपनी आजीविका के लिए मुख्यतः खेती पर ही निर्भर है |
फसल क्या होता है (What is Crop)?
ये बात हम सभी जानते है, कि पृथ्वी पर जीवित रहने के लिए भोजन कि आवश्यकता सभी जीव जन्तु को पड़ती है | अगर हम बात करे प्राचीन काल कि तो प्राचीन काल में मनुष्य अपनी खाद्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्राकृति द्वारा उगी हुई वनस्पतियों एवं पेड़ – पौधों से अपना भोजन कि पूर्ति करता था। समयानुसार धीरे-धीरे जनसंख्या में बढ़ोतरी होनें के कारण मनुष्य नें आपनी खाद्य आवश्यकताओं कि पूर्ति के लिए मुख्य रूप से कृषि कार्य करना शुरू कर दिया|
हम अपनें भोजन की आवश्यकता कि पूर्ति के लिए एक क्रम-बंध रुपरेखा अनुसार जिन पेड़-पौधों का उत्पादन करता है, वह फसल कहलाता है| तथा दूसरे शब्दों में एक बड़े एरिया में पौधों का वह समुदाय जो न कि केवल भोजन की पूर्ति ही किन्तु उसके साथ ही साथ आर्थिक लाभ की दृष्टी से भी उत्पादन किया जाता है, उसे फसल कहते है।
अगर हम बात करे फसल कि तो मुख्य रूप से फसल किसानों द्वारा अपने खेत तथा बागानों में उगाई जाने वाली जीवित पौंध को फसल कहा जाता है. तथा मुख्यतः खेत को एक या एक से अधिक प्रकार की फसल उगाने के लिए बनाया जाता है. अगर हम बात करे कि फसलो से संबंध में तो अधिकतम फसलें अनाज अथवा सब्जियों जैसे खाद्य पदार्थो से सम्बंधित होती हैं. तथा फसलों का प्रयोग न सिर्फ़ खाद्य पदार्थो के उत्पादन के लिए होता है किन्तु इसमें कई ऐसी फसलें भी है जिनका मुख्य उपयोग दवाइयों के उत्पादन के लिए किया जाता है|
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भारत में कितने प्रकार की फसल होती है (How Many Crops in India)?
मौसम के आधार पर भारत में 3 प्रकार की खेती की जाती है|
- खरीफ
- रबी
- जायद
खरीफ की फसल (Kharif Crop)
अगर बात करे हरीफ फसलो कि तो मुख्यतः देश में इससे मानसून के मौसम यानी जून और जुलाई के महीने में लगाए जाते है, तथा मुख्य रूप से ये फसल वर्षा ऋतु की फसलें भी कहलाती है| खरीफ फसलो कि बुवाई जून से जुलाई तक कि जाती है और सितम्बर- अक्टुबर माह में काट लेते है| खरीफ की फसलों में मुख्य रूप से धान, मक्का, बाजरा, मूंगफली, उड़द, मूंग, मूंगफली, जूट इत्यादि फसलें शामिल है|
रबी की फसल (Rabi Crop)
ये फसले मुख्य रूप से सर्दियों के मौसम अर्थात अक्टूबर – नवम्बर में लगाई जाती है| इन फसलों के लिए कम पानी के साथ साथ कम तापमान की आवश्यकता होती है, और बात करे फसलों को पकनें कि तो इसके लिए अधिक गर्मी और प्रकाश की जरूरत होती है| और मुख्यतः रबी की फसलों को अक्टूबर महीनें के बाद ही बूवाई करते है और मार्च –अप्रैल में काट लेते है| मुख्य रूप से रबी कि फसले इस प्रकार है मसूर, सरसो, चना, मटर, सरसों, जौ, आलू, तम्बाकू, गन्ना, चुकन्दर आदि |
जायद की फसल (Zaid Crop)
जायद कि फसल का उत्पादन मुख्य रूप से खरीफ की फसल और रबी की फसल के मध्य में बचनें वाले समय अंतराल में किया जाता है, इस फसल को जायद की फसलें कहते है| आमतौर पर इस मौसम में लगने वाली फसल को पकान में कम समय लगता है | इस फसल का उत्पादन मुख्यतः मार्च से जून महीने के अन्तराल में किया जाता है| इन फसलो में मुख्य रूप से ककड़ी, खीरा, तरबूज, तरोई, खरबूजा और टमाटर आदि सम्मलित है |
फसल का वर्गीकरण (Classification of Crop)
भारत में फसलों का उत्पादन कि बात कि जाए तो ये समातः मौसम, आवश्यकता, आर्थिक महत्व, वानस्पतिक समानताओं तथा जीवन चक्र के आधार पर मुख्य रूप से किया जाता है, तदापि इसके अनुरूप फसलों को वर्गीकृत किया गया है, जो कि मुख्यतः इस प्रकार है-
- मौसम या ऋतुओं के आधार पर फसलों का वर्गीकरण
- उपयोग एवं आर्थिक महत्व के आधार पर फसलों का वर्गीकरण
- जीवन चक्र के आधार पर फसलों का वर्गीकरण
- फसलों का वर्गीकरण वनस्पतिक आधार पर
- फसलों का वर्गीकरण विशेष उपयोग के आधार पर
- फसलों का वर्गीकरण सस्य वैज्ञानिक के आधार पर
- औद्योगिक महत्व के आधार पर फसलों का वर्गीकरण
मौसम या ऋतुओं के आधार पर फसलों का वर्गीकरण
मौसम के आधार पर लगाने वाली फसलों को 3 भागो में बांटा गया है, जो मुख्यतः इस प्रकार है-
क्र०स० | फसल का नाम |
1 | खरीफ की फसलें |
2 | रबी की फसलें |
3 | जायद की फसलें |
उपयोग एवं आर्थिक महत्व के आधार पर फसलों का वर्गीकरण
उपयोग एवं आर्थिक महत्व के आधार पर बोई जानें वाली फसलों को मुख्यतः इस प्रकार है-
क्र०स० | फसल का नाम | उदहारण |
1 | अनाज की फसलें | बाजरा, ज्वार, गेहू, मक्का आदि | |
2 | दलहनी फसलें | मटर, अरहर, चना, लोबिया, मूंग, मसूर, सोयाबीन एवं मूंगफली इत्यादि | |
3 | तिलहनी फसलें | मूगफली, सरसों, तोरिया, लाही, अरण्डी, तिल, कुसुम तथा सुरजमुखी आदि । |
4 | फलदार फसलें | केला, सेब, पपीता, अमरूद, आम, नारंगी, मौसमी एवं चीकू आदि । |
5 | रेशे की फसलें | पटसन, जूट, अलसी, कपास एवं सनई आदि | |
6 | मिर्च एवं मसाले वाली फसलें | मिर्च, जीरा, धनिया, अजवाइन इलायची दालचीनी तथा तेजपात इत्यादि । |
7 | औषधीय फसलें | तुलसी, मैन्था, नीम, पुदीना, अदरक एवं हल्दी आदि । |
8 | चारे की फसलें | मक्का, ज्वार, लोबिया, बरसीम, लुसर्न एवं नैपियर घास आदि । |
9 | शाकथाजी की फसलें | आलू, गोभी, मटर, मूली, लौकी, टमाटर, बैंगन, भिण्डी, तौरई , करेला आदि । |
10 | स्टार्च वाली फसलें | आलू तथा शकरकन्द आदि । |
11 | शर्करा की फसलें | गन्ना तथा चुकन्दर आदि । |
12 | उत्तेजक फसलें | भांग, गांजा, तम्बाकू, काफी एवं चाय आदि । |
13 | छोटे दाने वाली फसलें | सांवा, कोदों, रागी, बाजरा तथा काकुन इत्यादि । |
14 | जड़ तथा कन्द वाली फसलें | चुकन्दर, मूली, गाजर तथा शलजम आदि । |
15 | पेय पदार्थ वाली फसलें | चाय, कॉफी, कहवा व कोको आदि । |
जीवन चक्र के आधार पर फसलों का वर्गीकरण
अगर बात करे जीवन चक्र के आधार पर तो वर्तमान समय के अनुसार फसलों की अनेक जातियाँ सुविकसित हो चुकी हैं| जिनमे से कुछ फसलों के पौधे का जीवनकाल कम अवधि का होता है, और कुछ फसलों के पौधों की जीवनकाल की अवधि लम्बे समय तक की होती है इसका वर्णन कुछ इस प्रकार है –
क्र०स० | फसल का नाम | परिभाषा | उदहारण |
1 | एकवर्षीय फसलें | इस वर्ग की फसलो का जीवन चक्र एक वर्ष में पूरा हो जाता है और ये फसल साल भर में एक बार ही पैदावार देती है | और मुख्यत इस फसल को रबी और खरीफ माह में उगाया जाता है | | मूँगफली, धान, गेहूँ, चना, ढैंचा, आलू, शकरकन्द, कद्दू, बाजरा, मूँग, कपास, सरसों,लौकी और सोयाबीन इत्यादि | |
2 | द्विवर्षीय फसलें | द्विवर्षीय फसलें वे होती जो अपना जीवन काल दो वर्ष या इससे कम अवधि में पूरा कर लेती है । इस समय अवधि के अन्तर्गत पहले साल में ये फसलें वानस्पतिक वृद्धि करती है तद पश्चात् दुसरे साल में बीज बनाती हैं । | चुकुन्दर, प्याज आदि| |
3 | बहुवर्षीय फसलें | बहुवर्षीय वर्ग की फसलो का जीवकाल कई साल तक चलाती रहती है तथा बहुवर्षीय फसलेंकम से कमवर्ष में दो से अधिक बार पैदावार देने के लिए लगाई जाती है. | लुसर्न, नेपियर घास, नींबू घास और रिजका |
फसलों का वर्गीकरण वनस्पतिक आधार पर
इसके अंतर्गत फसलों को सामान्यतः परिवारों के आधार के अन्तर्गत विभाजित किया जाता है, जो मुख्यतः इस प्रकार है-
क्र०स० | परिवार | फसलों के नाम |
1 | घास परिवार (Gramincae Family) | इस परिवार में मुख्यतः धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, गेहूँ, जौ और गन्ना आता है | |
2 | मटर परिवार (Leguminaceae Family ) | इस फॅमिली में मुख्य रूप से अरहर, उड़द, मूंग, सोयाबीन, सनई, लैंचा, ग्वार, मूंगफली, मटर, चना और मसूर आता है | |
3 | सरसों परिवार (Cruciferae Family) | सरसों परिवार में मुख्य रूप से सरसों, तोरिया, तारामिरा, बन्दगोभी, फूलगोभी, गाँठगोभी, मूली, शलजम इत्यादि आते है | |
4 | कपास परिवार (Malvaceae Family ) | कपास परिवार मुख्य र्रूप से कपास, पटसन व भिण्डी आदि आते है| |
5 | आलू परिवार (Solanaceae Family) | टमाटर, आलू, हरी मिर्च व तम्बाकू इत्यादि | |
6 | अलसी परिवार (Linaceae Family) | इसमें मुख्यतः अलसी आता है | |
7 | कद्दू परिवार (Cucurbitaceae Family) | पेठा, खीरा, करेला, खरबूजा व तरबूज आदि मुख्य रूप से आता है | |
8 | जूट परिवार (Tilaceae Family) | जूट |
9 | अण्डी परिवार (Euphorbiaceae Family) | अण्डी |
फसलों का वर्गीकरण विशेष उपयोग के आधार पर
इसमें हम फसलों को उनके विशेष या मुख्य उपयोग के आधार पर विभाजित करते है जो इस प्रकार है-
क्र०स० | फसल का नाम | परिभाषा | उदहारण |
1 | नकदी फसलें (Cash Crops) | नकदी फसलों को मुख्यतः कटाई या तुड़ाई करने के बाद ज्यादा दिनों तक भंडारित नही किया जा सकता. इस फसल को उगा कर किसान भाइयों को अच्छा मुनाफा भी हो सकता है | | केला, जूट, कॉफी, कोको, गन्ना, टमाटर, संतरा और कपास इत्यादि | |
2 | अन्तर्वर्ती फसलें (Catch Crops) | इस फसलें की खेती मुख्य रूप से फसलों के साथ सहायक फसल कि तरह ली जाती है, और सहायक फसलों की खेती मुख्य रूप से किसान भाई अधिकतर बागबानी फसलों में ही करते हैंऔर ये फसल कम सयम में तैयार हो जाती है | यथार्त कभी कभी खेत और श्रम के उपयोग के लिए दो मुख्य फसल के मध्य में एक कोई अल्पकालिक फसल ले लेते है | | उर्द, मूंग आदि। |
3 | सहयोगी फसलें (Companion Crops) | यह फसलें एक ही खेत में अलग – अलग कतार में उगाई जाती हैं, और इनमें एक मुख्य फसल तथा दूसरी कम समयावधि की फसल होती है यह सहयोगी फसलें कहलाती हैं | | इस में मुख्यतः मक्का + उड़द और आलू + मूंग आदि आते है | |
4 | वीथी फसलें (Alley Crops) | ये फसल पेड़ों की पंक्तियों के बीच भोजन, चारा या विशेष फसलों की खेती करते है तथा ये फसले मुख्यतः भूमि की उर्वरा शक्ति व उत्पादन शक्ति को बढ़ाने के लिये, गलियारे अर्थात रास्तों के बीच उगाया या लगाया जाता है | | यूकेलिप्टस के बीच शकरकन्द या उड़द |
5 | शिकारी फसलें (Prey or Smother Crops) | ये फसलें मुख्यतः अपनी तीव्र वृद्धि के कारण अवांछित पौधों यानि खरपतवार को दवा देती हैं | | लोबिया, सनई, सरसों, व बरसीम आदि । |
6 | बम्पर क्राप तथा क्राप फेलयोर (Bumper Crop And Crop Failure) | जब किसी फसल के पौधों का जब प्रचुर मात्रा में वृद्धि एवं विकास होता है तो उसे ‘bumper crop’ कहा जाता है, ठीक उसी प्रकार जब किसी फसल के पौधोंकी कोई कारणवश कम वृद्धि एवं विकास होता है तो उससे ‘crop failure’ कहा जाता है | – |
7 | रिले क्रापिंग (Relay Cropping) | रिले फसलो में मुख्यतः जब एक खेत से एक ही साल में एक के बाद एक करके चार फसलें जायदातर उत्पादन एवं आर्थिक लाभ के लिये लगाई जाती है, तब तो यह मुख्य रूप से रिले क्रापिंग कहलाता है । | मूंग -मक्का -आलू- गेहू |
फसलों का वर्गीकरण सस्य वैज्ञानिक के आधार पर
अगर हम किसी भी फसल का अच्छा उत्पादन चाहते है तो उसके लिए हमे फसल की बुवाई से लेकर उसकी कटाई तक खेत में सस्य क्रियाएं करनी होती है| इन क्रियाओं को निर्धारित करने वाले कुछ प्रमुख सिद्धांत जो कि इस प्रकार है-
क्रमांक | चरण | व्याख्या | उदाहरण |
1 | फसल का चुनाव (Selection of Crop) | फसल का चुनाव फसल उत्पादन का एक मुख्य भाग है फसल का चुनाव मुख्यतः भूमि , सीजन , और बाजार पर निर्भर करता है | | गेहू, गन्ना, आलू, आदि |
2 | भूमि का चुनाव (Selection of Land) | अगर बात करे भूमि का चूनाव की तो सभी प्रकार कि भूमि फसल के लिए उपयुक्त होती है लेकिन अगर जायदातर उत्पादन कि बात करे तो दोमट मिट्टी जादा उपयुक्त होता है तथा कुछ फसलो को लिए जलोड़ मिट्टी को उपयुक्त होती है | | जलोड़ मिट्टी , दोमट मिट्टी |
3 | मौसम विज्ञान (Weather Science) | फसल का उत्पादन कि बात करे तो वृद्धि से लेके उत्पादन तक मौसम बहुत ही महत्वपूर्ण होता है, तथा फसल के सम्पूर्ण जीवन काल से अंकुरण, वृद्धि एवं कटाई तक तापमान व वर्षा का मुख्य प्रभाव पड़ता है इसका मुख्य प्रभाव से फसल की उपज घट या बढ़ सकती है | | वर्षा, तापमान आदि |
4 | उपयुक्त फसल चक्र (Suitable Crop Rotation) | फसल चक्र में फसल इस क्रम में बोया जाता है जिससे कि भूमि कि उर्वरा शक्ति बनी रहती है अगर एक सफल उत्पादन कि बात करे तो फसल चक्र एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है इससे फसल का उत्पादन छमता बढती है | | हरी खाद के साथ में गेहूँ,कपास के साथ मटर तथा गेहूँ, मक्का के साथ गेहूँ, धान के साथ में गेहूँ तथा ज्वार के स्थ में भी गेहूँ लगा कर मिलवा खेती कर सकते है | |
5 | मिलवा खेती (Mixed Cropping) | फसलो उत्पादन के साथ-साथ पशुपालन भी किया जाता है तो मिश्रित खेती कहलाता है और जब एक बार में एक से ज्यादा फसल एक ही जगह पर एक साथ उगाया जाता है उसे मिलवा खेती कहते है | | बाजरा के साथ मून्ग,गेहूं के साथ चना तथा जौ के साथ चना आदि |
6 | सिंचाई प्रबंध (Irrigation Management) | अगर बात करे पौधों की वृद्धि के लिए उपयोगी जल की पूर्ति जब हम प्राकृतिक संसाधनों द्वारा पूरा नहीं कर पाते है, तो पौधों इस जल की पूर्ति कृत्रिम रूप से करनी पड़ती है,इस कृत्रिम जल कि आपूर्ति को सिंचाई कहते हैं | फसल के लिए सही समय पर, सही मात्रा में एवं सही तरीके से जल-प्रबन्ध किया जाना बहुत ही आवश्यक हैक्युकी इसका सीधा प्रभाव फसल कि उत्पादकता पर दिखाए देता है | | स्प्रिकलेर,ड्रिप पंप ,इत्यादि |
7 | कृषि श्रमिकों की उपलब्धता (Availability of Farm Labourers) | अगर हम बात करे कृषि श्रमिको कि तो ये एक अहम भूमिका निभाते है क्यों कि फसल कि बुवाई से लेके जब तक कि फसल कट नहीं जाता हमे कृषि श्रमिको कि आवश्कता होती है इसका सीधा प्रभाव उत्पादन और उसके साथ ही बाजार मूल्य पर भी पर पड़ता है | | |
8 | कृषि संसाधनों का प्रबंध (Management of Agri Resources) | अगर हम बात करे किसी फसल से अधिकतम उपज एवं मुनाफा प्राप्त करने कि तो हमे सबसे पहले हम उन्नत कृषि यन्त्रों, सिंचाई की व्यवस्था, खाद एवं उर्वरकों की व्यवस्था, उन्नत प्रजाति का बीज, तथा पूंजी आदि कृषि संसाधनों की उपलब्धता का होना अनिवार्य रूप से निश्चयात्मक कर लेगे । | ट्रेक्टर , खाद , पूंजी |
औद्योगिक महत्व के आधार पर फसलों का वर्गीकरण
फसलों का औद्योगिक महत्व के आधार पर वर्गीकरण इस प्रकार है-
क्रमांक | उद्योग |
1 | सब्जी उद्योग (Vegetable Industry) |
2 | औषधि उद्योग (Pharmaceutical Industry) |
3 | फल एवं फूल उद्योग (Fruit and Flower Industry) |
4 | रंग व सुगन्ध उद्योग (Color and Aroma Industries) |
5 | जूट व पैकिंग उद्योग (Jute & Packing Industries) |
6 | काफी या कहवा उद्योग (Coffee Industry) |
7 | आटा मिल (Flour Mill) |
8 | शीतल पेय उद्योग (Soft Drink Industry) |
9 | रसायन और तेल उद्योग (Chemical & Oil Industry) |
10 | सौन्दर्य प्रसाधन उद्योग (Cosmetics Industry) |
11 | चीनी उद्योग (Sugar Industry) |
12 | हथकरघा उद्योग (Handloom Industry) |
फसलो का महत्त्व (Importance of Crop)
अगर हम फसलो कि बात करे तो इसका महत्त्व सभी जानते है कि कृषि उपज की दृष्टिकोड़ से अलग –अलग प्रकार की फसलों को भोजन ,औषधि, उधोग तथा व्यपार के लिए उगाया जाता है | अगर बात करे की फसले अपना भोजन सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में प्रकाश संश्लेषण कि मुख्य क्रिया द्वारा निर्माण करती हैं । यह प्रक्रिया में प्रकाश का होना अत्यंत आवश्यक है जो की पौधे सूर्य से प्राप्त करते हैं, और इस प्रकार जब पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया जितनी भी अधिक मात्रा में होती है, उतना ही फौधो का भोजन अधिक बनता है और ठीक इस प्रकार भोजन पौधों की उत्पादकता के रूप में हमें मिलता है जिसे हम कृषि कि भाषा में फसल का उत्पादन भी कहते है |
फसल उत्पादन के मूल भुत सिद्धान्त इस प्रकारहै –
क्रमांक | सिद्धान्त |
1 | भूमि का चुनाव (Selection of Soil) |
2 | मिश्रित खेती (Mixed Cropping) |
3 | बुवाई का समय (Time of Sowing) |
4 | बुवाई की विधियाँ (Methods of Sowing) |
5 | बीजोपचार (Seed Treatment) |
6 | फसल चक्र (Crop-Rotation) |
7 | अन्तरण (Spacing) |
8 | बुवाई की गहराई (Depth of Sowing) |
9 | बीज दर (Seed rate) |
10 | खाद एवं उर्वरक (Manures and Fertilizers) |
11 | सिंचाई एवं जल प्रबन्ध (Irrigation and Water Management) |
12 | निराई – गुड़ाई (Intercultural Operations) |
13 | खरपतवार नियन्त्रण (Weed Control) |
14 | पादप सुरक्षा (Plant Protection) |
15 | कटाई एवं गहाई (Harvesting and winnowing) |
16 | उपज (Yield) |
17 | भण्डारण (Storage) |
फसल चक्र क्या होता है (What is Crop Rotation) ?
आएये जैसे कि हमने पहले जाना कि फसल क्या होती है इसका प्रकार और वर्गीकरण तथा अब हम बात करते है इसकी चक्र कि यानि फसल चक्र कि तो अगर सरल भाषा में कहा जाए तो अगर मिट्टी की गुणवत्ता तथा उर्वरा शक्ति कि बात है तो फसल चक्र बेहद महत्वपूर्ण है। आज के समय में हम भूमि कि गुद्वता तथा उर्वरा छमता को खाराब कर भूमि को बंजर बनाते जा रहे यही अधिक उपज कि वजह से अधिकांश किसान अपने खेत में रासायनिक उर्वरक तथा कीटनाशक का अधिक मात्रा में उपयोग कर रहे हैं, लेकिन उन्हें पता नहीं कि इससे खेतों को कितना नुकसान पहुंच रहा है | ऐसे में अगर हम फसल चक्र की बात करे तो यह किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है |
फसल चक्र
एक से अधिक फसलों को किसी एक निश्चित एरिया पर, एक निश्चित क्रम से, किसी निश्चित समय में लगाना फसल चक्र कहलाता हैं। अगर हम सरल शब्दों में कहें तो एक ही भूमि पर एक ही प्रकार की फसलें न लगाकर बदल-बदलकर फसल उगाई जाए तो ये प्रकिया को फसल चक्र कहते हैं। तदापि किसी निश्चित एरिया में निश्चित समय के लिए भूमि की उर्वरता तथा गुणवत्ता को बनाये रखने के मुख्य उद्देश्य से फसलों को अदल-बदल कर उगाने व उसका उत्पादन की यह प्रक्रिया फसल चक्र कहलाती है |
फसल चक्र का महत्व
अगर हम वर्तमान समय में कृषि में खेती कि बात करे तो मुख्यत उत्पादन एवं उत्पादकता में कमी आने के मुख्य कारणों का अध्ययन किया जाए तो निश्चित रूप से ही पता चलेगा कि इसमें एक महत्वपूर्ण कारण फसल चक्र सिद्धान्त का न अपनाया जाना भी है और यह एक मात्र कारण है जिससे कि उपजाऊ भूमि का क्षरण, भूमि से लाभकारी सूक्ष्म जीवों की कमी, मित्र जीवों की कमी, हानिकारक कीट पतंगों का बढ़ाव, खरपतवार की समस्या में बढ़ोत्तरी, जलधारण क्षमता में कमी, भूमि के भौतिक व रासायनिक गुणों में परिवर्तन, भूमिगत जल का प्रदूषण व भूमि का जल का लेवल कम होना , कीटनाशकों का अधिक प्रयोग तथा नाशीजीवों में उनके प्रति प्रतिरोधक क्षमता का विकास ये सारी समस्या आज के किसान कि मुख्य समस्या है जिससे कि फसल कि उत्पादन में भी बहुत प्रभाव पड़ता है | इसलिए फसल च्रक का उत्पादन पर अपना एक अलग ही महत्त्व है |
आएये अब हम बात करते है कि इसके निष्कर्स कि तो जैसे कि हम सभी को पता है कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहाँ अधिकतर लोगो अपने आजीविका के लिए कृषि पर ही निर्भर रहते है तो ऐसे में हम अगर खेती कर ही रहे तो इससे जुड़े कुछ जानकारी जो कि हमारे लिए लाभकारी और फायदेमंद है उससे जाने जैसे कि कितने प्रकार कि फसल को लगाते है और वो किस किस सीजन में लगते है रबी में क्या लगते है खरीफ तथा जायत में क्या लगते है जिससे कि हम भी लगा कर मुनाफा ले सकते है और ये आर्टिकल लिखने का हमारा मुख्य उद्देश्य आपको फसल क्या होती है इसका प्रकार तथा विभिन्न वर्गीकरण के बारे में बताना था |
अगर आपके मन में फसल से सम्बंधित कुछ भी सवाल है तो आप कमेंट के माध्यमं से पूछ सकते है |
अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):
प्रश्न- फसल कितने प्रकार की?
उत्तर –फसल कि बात कि जाए तो जैसा मैंने अपने ब्लॉग में बताया है मौसम के आधार पर फसल को मुख्य रूप से तीन भागो में बाटा गया है जो कि इस प्रकार है 1- रबी की फसल (Rabi crop), खरीफ की फसल (Kharif crop) तथा जायद की फसल (Zaid crop) |
प्रश्न- फसल से क्या समझते हैं?
उतर– हम अपनें भोजन की आवश्यकता कि पूर्ति के लिए एक क्रम-बंध रुपरेखा अनुसार जिन पेड़-पौधों का उत्पादन करता है, वह फसल कहलाता है| तथा दूसरे शब्दों में एक बड़े एरिया में पौधों का वह समुदाय जो न कि केवल भोजन की पूर्ति ही किन्तु उसके साथ ही साथ आर्थिक लाभ की दृष्टी से भी उत्पादन किया जाता है, उसे फसल कहते है |
प्रश्न– खरीफ की फसल कौन कौन सी है?
उतर- खरीफ की फसलों में मुख्य रूप से धान, मक्का, बाजरा, मूंगफली, उड़द, मूंग, मूंगफली, जूट इत्यादि फसलें शामिल है |
प्रश्न- दलहन एवं तिलहन से आप क्या समझते हैं?
उतर- जिन फसलों का उपयोग तेल निकालने के लिए किया जाता है उससे तिलहनी फसल कहते है जैसे मूगफली, सरसों, तोरिया, लाही, अरण्डी, तिल, कुसुम तथा सुरजमुखी आदि | और दहलन का मुख्य उपयोग दाल के लिए किया जाता है तथा दलहनी फसलें लेग्यूमिनेसी कुल की होती है। इन फसलों की मुख्य विशेषता यह होती है कि इनकी जड़ों की ग्रन्थियों में राइजोबियम नामक जीवाणु होता है, जो मुख्यतः वायुमण्डल की नाइट्रोजन को नाइट्रेट में परिवर्तित कर देता है जिससे मृदा की उर्वरता शक्ति बढ़ जाती है (जैसे मटर, अरहर, चना, लोबिया, मूंग, मसूर, सोयाबीन एवं मूंगफली इत्यादि) |
प्रश्न- फसल चक्र से क्या समझते हैं?
उतर- एक से अधिक फसलों को किसी एक निश्चित एरिया पर, एक निश्चित क्रम से, किसी निश्चित समय में लगाना फसल चक्र कहलाता हैं | और अधिक जानने के लिए ऊपर ब्लॉग को पढ़िए |
प्रश्न- फसल का महत्त्व ?
उतर – अगर हम बात करे फसल के महत्व कि तो सभी जानते है जैसे कि मनुष्य को जीवन याव्पन के लिए सूर्य की रौशनी, जल तथा वायु कि आवश्यकता होती है ठीक उसी प्रकार मानव के जीवन में फसलों का अत्यधिक महत्व है। क्योंकि सभी जानते है फसलों के बिना मनुष्यका जीवन कुछ भी नहीं है। अनाज का प्रयोग करके मनुष्य को ग्रहण करता है तथा यह एक महत्वपूर्ण बात है कि फसलों के कारण ही देश की आर्थिक स्थिति में मजबूती आती है और सभी जानते है भारत देश को कृषि प्रधान देश भी कहा जाता है | और यहाँ के लगभग 50% लोग खेती करके ही अपना आजीविका चलते है |
प्रश्न- फसलों को कितने वर्गों में बांटा जा सकता है?
उतर- भारत में फसलों का उत्पादन कि बात कि जाए तो ये समातः मौसम, आवश्यकता, आर्थिक महत्व, वानस्पतिक समानताओं तथा जीवन चक्र के आधार पर मुख्य रूप से किया जाता है, तदापि इसके अनुरूप फसलों को वर्गीकृत किया गया है, जो कि मुख्यतः इस प्रकार है-
1. मौसम या ऋतुओं के आधार पर फसलों का वर्गीकरण
2. उपयोग एवं आर्थिक महत्व के आधार पर फसलों का वर्गीकरण
3. जीवन चक्र के आधार पर फसलों का वर्गीकरण
4. फसलों का वर्गीकरण वनस्पतिक आधार पर
5. फसलों का वर्गीकरण विशेष उपयोग के आधार पर
6. फसलों का वर्गीकरण सस्य वैज्ञानिक के आधार पर
7. औद्योगिक महत्व के आधार पर फसलों का वर्गीकरण
प्रश्न- जल प्राप्ति के आधार पर कृषि के कितने प्रकार हैं?
उतर-जल प्राप्ति के आधार पर कृषि के 3 प्रकार है-
1. तर कृषि (Wet Farming)
2. आर्द्र कृषि (Humid Farming)
3. सिंचित कृषि (Irrigated Farming)
प्रश्न- रबी फसल कौन सी है?
उतर- मुख्य रूप से रबी कि फसले इस प्रकार है मसूर, सरसो, चना, मटर, सरसों, जौ, आलू, तम्बाकू, गन्ना, चुकन्दर आदि |
प्रश्न- खरीफ और रबी फसल में क्या अंतर है?
उतर- खरीफ और रबी फसल में अंतर इस प्रकार है –
1. अगर हम बात करे खरीफ फसलों की तो इसकी बुवाई मानसून के शुरू होने के साथ ही शुरू होती है और जबकि रबी फसलों की तो इनकी बुवाई मुख्यतः मानसून ख़त्म होने के बाद ही शुरू होती है |
2. खरीफ फसलों को मानसूनी फसलें तथा रबी फसलों को बसंत फसलें भी कहा जाता है |
3. खरीफ फसलों को अधिक पानी की आवश्यकता होती है और इनकी मुख्य फसल जैसे कि धान, बाजरा,मक्का कपास आदि |
4. रबी फसल को कम पानी की आवश्यकता होती हैऔर इनकी मुख्य फसल जैसे – गेहू, अरहर, चना आदि |
प्रश्न- खरीफ में आने वाले अनाज की फसल कौन कौन सी है?
उतर- खरीफ की फसलों में मुख्य रूप से धान, मक्का, बाजरा, मूंगफली, उड़द, मूंग, मूंगफली, जूट इत्यादि फसलें शामिल है|
प्रश्न- फसल चक्र के हिसाब से सरसों के बाद कौन सी फसल बोने चाहिए?
उतर- फसल चक्र के हिसाब से सरसों के बाद मूंग की खेती की जाती है|
प्रश्न- फसलों को कितनी श्रेणियों में बांटा गया है?
उतर- मौसम के आधार पर फसलो को 3 श्रेणियों में बांटा गया है
1.खरीफ
2.रबी
3.जायद