टमाटर की खेती कैसे की जाती है ( How to do Tomato Farming )
किसान भाइयो अगर आपको टमाटर की खेती या Tamatar Ki Kheti ( Tomato Farming ) के बारे में और जानना है ,तो उसके लिए ये ब्लॉग को आपको पूरा पढ़ना पड़ेगा और ऐसे ही और जानकारी के लिए आपको हमारे साथ बने रहना होगा | अगर आप और भी कुछ या किसी क्रॉप या सब्जी के बारे में जानकारी चाहते है, तो हमे कमेंट के जरिये जरुर बताये | बात करे टमाटर की खेती की तो आपको पहले भी पता ही होगा किसी फसल को उगाने के लिए आपको उसकी पूरी जानकारी होना बहुत ही जरुरी है |
जैसे की मृदा , जल , तापमान , बीज, उपयुक्त खाद तथा उगाने से लेकर जब तक फसल पक ना जाए सबकी जानकरी होना बहुत ही जरुर है | तो इन्ही छोटी- छोटी चीजों को ध्यान में रखते हुए आपको टमाटर की खेती कैसे की जाती है | इसका पूरा जानकारी इस ब्लॉग के माध्यम से देने का एक छोटा सा प्रयास है, उम्मीद है आपको हमारी ये जानकारी अच्छी लगे |
टमाटर की खेती की जानकारी ( Tomato Cultivation Information )
टमाटर या Tamatar Ki Kheti की बात करे तो इसकी खेती दक्षिण अमेरिका के पेरू इलाके में पहली बार की गई तथा भारत के व्यापारिक फसल की बात करे तो ये महत्तवपूर्ण व्यापारिक फसल में से एक है।
दुनिया भर में आलू के बाद दूसरे नंबर की सबसे महत्तवपूर्ण टमाटर की फसल है। टमाटर को फल की तरह कच्चा और पकाकर भी उपयोग में लाया जा सकता है। टमाटर में विटामिन ए, सी, पोटाश्यिम और अन्य मुख्य खनिजों का भरपूर स्त्रोत होता है। टमाटर का प्रयोग आमतौर पर जूस, सूप, पाउडर और कैचअप इत्यादि बनाने के लिए भी किया जाता है।
टमाटर की पैदावार प्रमुख रूप से बिहार, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, महांराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और पश्चिमी बंगाल में की जाती है। पंजाब में टमाटर की फसल की पैदावार मुख्य रूप से अमृतसर, रोपड़, जालंधर, होशियारपुर आदि जिलों में की जाती है।
वैसे तो टमाटर की खेती ( Tamatar Ki Kheti ) साल के किसी भी मौसम में किया जा सकता है , परन्तु ठंडियों के मौसम में टमाटर की खेती में खास ध्यान देना पड़ता है,क्योकि सर्दियों के मौसम में गिरने वाले पाले से इसकी फसल को बहुत हानि पहुँचती है |
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टमाटर की खेती के लिए उपयुक्त मृदा ( Soil Suitable for Tomato Cultivation )
- टमाटर की खेती अलग-अलग प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है , जैसे कि रेतली, चिकनी, दोमट, काली, लाल मिट्टी, इत्यादि | टमाटर की खेती करने के लिए आमतौर पर जल निकासी वाली मिट्टी (दोमट मिट्टी) का होना अत्यन्त उपयोगी होता है | इसकी अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी में उचित मात्रा में पोषक तत्व जरूर होने चाहिए | इसकी अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी का पीएच मान 7 से 8.5 होना |
- जल भराव वाली भूमि पर खेती करना उचित नहीं होता है, क्योंकि ऐसी भूमि पर भरे हुए जल की वजह से टमाटर की फसल में कई तरह के रोग लग जाते है | इसलिए अच्छी पैदावार के लिए सही भूमि का होना भी बहुत आवश्यक होता है|
- टमाटर के अगेती फसल के लिए हल्की मिट्टी बहुत लाभदायक होती है, जबकि अच्छी पैदावार के लिए चिकनी, दोमट और बारीक रेत वाली मिट्टी बहुत उपयोगी है।
टमाटर की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु व तापमान ( Climate and Temperature Required for Tomato Cultivation )
टमाटर की उन्नत किस्मों की खेती लगभग सालभर की जा सकती है और यह एक ऐसी सब्जी है जो गर्म जलवायु में ही उगाई जाती है , किन्तु इसकी खेती मुख्य रूप से ठंडे मौसम में की जाती है |
टमाटर की खेती के लिए तापमान का बहुत अधिक महत्त्व होता है, क्योकि टमाटर के बीज को अंकुरित होने के लिए सामान्यता 20 -25 डिग्री का तापमान तथा पौधे के विकास के 18-30 डिग्री तापमान अच्छा माना जाता है |
टमाटर का पौधा जब बड़ा होता है तो उसमें फूल लगते हैं। इन फूलों को बढ़ने के लिए अधिकतम 30 डिग्री तथा न्यूनतम 18 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है , और यदि तापमान 38 डिग्री से अधिक हो जाता है, तो फूल तथा फल दोनों पौधे से गिर सकते हैं | लाल रंग का उत्पादन करने के लिए टमाटर को लगभग 21-24 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है।
टमाटर की विकसित किस्मे ( Varieties of Tomatoes )
आज बाजार में टमाटर के कई किस्मे उपलब्ध हैं। इसमें टमाटर की खेती ( Tamatar ki kheti ) के लिए अच्छी प्रजाति के बीजों का चुनाव करना बेहद जरुरी होता है। बाजार में कुछ ऐसी भी संकर (Hybrid) किस्मे उपलब्ध है जिनका उपयोग कर आप अधिक पैदावार कर सकते है | अधिक जानकारी के लिए आप अपने आसपास के बाजार या कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क कर सकते हैं। टमाटर की ऐसी ही कुछ किस्में (Varieties) –
देशी टमाटर की खेती के उन्नत किस्में
- पूसा शीतल पूसा-120
- पूसा रूबी
- पूसा गौरव
- अर्का विकास
- अर्का सौरभ
- सोनाली
हाइब्रिड टमाटर की खेती के लिए उन्नत क़िस्म
हाइब्रिड टमाटर की खेती के लिए निचे दिए गये कुछ उन्नत किस्मो को ले सकते है:
- पूसा हाइब्रिड-1
- पूसा हाइब्रिड-2
- पूसा हाईब्रिड-4
- रश्मि और अविनाश-2
टमाटर के खेत की जुताई का उपजाऊ तरीका ( Fertile Method of Tillage of Tomato Field )
खेत में टमाटर उगाने के लिए, आप पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई करें, और ध्यान रहे पहले हुई फसल के पुराने अवशेष को नष्ट करने के लिए खेत की दो से तीन तिरछी जुताई करवाए। फिर एक या दो दिन के लिए खेत को छोड़ दें ताकि मिट्टी बैठ जाए। इसके बाद खेत में गाय की खाद डालकर अच्छी तरह जोत लें।
टमाटर की फसल के लिए भुरभुरी मिट्टी अच्छी होती है, खेत कि मिट्टी को भुरभुरा बनाने के लिए मुख्यतः खेत में पानी भर कर छोड़े फिर कुछ दिन के बाद ही खेत की जुताई करे जिससे की मिट्टी में मौजूद मिट्टी के ढेले टूटकर भुरभुरी मिट्टी में बदल जाये | अब खेत में टमाटर के पौधे लगाने के लिए मेड तैयार कर, इसमें टमाटर की फसल को लगाए |
टमाटर के पौधों तथा नर्सरी कैसे तैयार करे ( How to Grow Plants and Nursery of Tomato )
टमाटर के पौधो को तैयार करने के लिए बीजो को नर्सरी (पौध घर) में तैयार किया जाता है | नर्सरी को मख्य रूप से 90 से 100 सेंटीमीटर चौड़ी और 10 से 15 सेंटीमीटर उठी हुई बनाना चाहिए। जिससे की नर्सरी में पानी नहीं ठहरता है। इससे निराई-गुड़ाई भी अच्छी तरह हो जाती है। बीज की बुवाई से पहले टमाटर के बीज को 2 ग्राम केप्टान से उपचारित करना चाहिए।
टमाटर के बीज को नर्सरी में लगभग 4 सेंटीमीटर की गहराई में बोना चाहिए और बीजों की बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करना चाहिए | टमाटर के पौधे जब 5 सप्ताह बाद 10-15 सेंटीमीटर के हो जाए तब पोधो को खेत में बोना चाहिए। टमाटर की साधारण किस्म लिए प्रति हेक्टयेर 400 से 500 ग्राम बीजो की अवश्यकता होती है और संकर किस्म के बीज के लिए 250 से 300 ग्राम तक बीज पर्याप्त होते है |
टमाटर की खेती का मौसम व तरीका ( Season and Method of Tomato Cultivation )
टमाटर की खेती ( Tamatar ki kheti ) की बात करे तो इसे साल में 3 बार की जा सकती है, जिसमे की मई-जून, सितंबर-अक्टूबर और जनवरी-फरवरी में बुआई की जाती है।
टमाटर की अच्छी फसल के लिए टमाटर को कभी भी उसे समतल भूमि में नहीं उगाना चाहिए | टमाटर के पौधे को डेढ़ फ़ीट की दूरी पर मेड पर लगाना चाहिए, तथा पौधों से पौधो की दुरी लगभग एक फिट होनी चाहिए |
खेत की तैयारी ( Field Preparation )
टमाटर की खेत की तैयारी में बुवाई से पहले खेत की मिट्टी पलटने वाले हल से अच्छे से जुताई करें | उसके बाद खेत को समतल करके 250-300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से सड़ी गोबर की खाद को समान रूप से खेत में बिखेरकर पुन: अच्छी जुताई कर लें और खरपतवार को पूर्णरूप से हटा दें।
टमाटर की खेती के लिये खरपतवार नियंत्रण ( Weed Management )
टमाटर की खेती ( Tamatar ki kheti ) में अच्छी पैदावार के लिए आपको खरपतवार का नियंत्रण करना बहुत ही जरुरी है | खरपतवार फसल के निमित्त पोषक तत्वों व जल को ग्रहण का फसल को कमजोर करते हैं, और उपज के भारी हानि होता ही | जिससे की समय-समय पर खरपतवार नियंत्रण के लिए निराई-गुड़ाई जरूरी है।
अगर टमाटर की खेत में चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार, जैसे-बथुआ, सेंजी, कृष्णनील, सतपती अधिक है | तो उसके उपचार के लिए स्टाम्प-30 (पैंडीमिथेलिन) का छिड़काव करें। इससे बहुत मात्रा तक खरपतवारों को नियंत्रित कर सकते हैं।
कई टमाटर के खेतों में खरपतवार की समस्या अधिक रहती है। यदि आपके खेत में भी ऐसी समस्या है, तो इसके उपचार के लिए ‘लासो’ 2 किलोग्राम/हैक्टेयर की दर से प्रतिरोपण से पहले ही डालना चाहिए, और रोपण के 4-5 दिन बाद स्टाम्प 1.0 किलोग्राम प्रति हैक्टर की दर से उपयोग किया जा सकता है।
टमाटर की खेती के लिये खाद एवं उर्वरक ( Manure and Fertilizers )
खाद तथा उर्वरकों का प्रयोग खासकर मिट्टी परीक्षण के आधार पर ही किया जाता है| 20 से 25 मैट्रिक टन गोबर की खाद एवं 200 किलो नत्रजन, 100 किलो फॉस्फोरस व 100 किलो पोटाश को मृदा में डाले तथा जहा भी बोरेक्स की कमी हो वहॉ बोरेक्स 0.3 प्रतिशत का छिड़काव करने से अधिक उपज मिलता हैं ।
टमाटर की खेती ( Tamatar ki kheti ) से पहले जुताई के समय प्रति हेक्टयेर खेत में 20 से 25 गाड़ी गोबर की खाद को दो से तीन हफ्ते पहले खेत में डाल कर मिट्टी में अच्छी तरह से मिला दें | खेत की अंतिम जुताई के समय 80 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम पोटाश और फास्फोरस 60 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए | फिर उसके 5 हफ्ते के बाद 20 किलोग्राम नाइट्रोजन की मात्रा सिंचाई के समय दें | उसके पश्चात् फिर एक महीने के बाद फिर से 20 किलोग्राम नाइट्रोजन से खेत की सिंचाई करे |
टमाटर की फसल की सिंचाई का तरीका (Method of Irrigation of Tomato Crop)
आमतौर पर खेत की सिंचाई खेत में पौधे लगाने के साथ ही कर देना उचित माना जाता है | खेत में नमी बनी रहनी चाहिए जब तक की खेत में टमाटर के पौधे अंकुरित ना हो जाए | और वाही सर्दी और गर्मी के टमाटर के फसलो की बात करे तो अगर फसल गर्मी के मौसम की है, तो उसे हफ्ते में कम से कम 3 से 4 दिन के मध्य पानी देते रहना चाहिए |
सर्दियों की फसल है, तो उसमे हफ्ते में एक ही बार पानी देना चाहिए | जिससे की उसमे नमी बनी रहे | पौधे से फूल निकलने के समय पानी की मात्रा को सामान्य रखे जिससे की फूल ख़राब न हो जाये | फल बनने की अवस्था पानी की मात्रा को बढ़ा देना चाहिए, जिससे की फसल अच्छे से वृद्धि करे | आमतौर पर पहली सिंचाई फूल निकलने से पहले और दूसरी सिंचाई फलियां बनने के समय करनी चाहिए ।
कुछ खास बातो का ध्यान रखना बहुत ही जरुरी है, जैसे कि हल्की सिंचाई करें और खेत में पानी ठहराव न रहे । टमाटर की फसल को तापमान सहने की क्षमता अच्छी होती है, इसलिए बहुत जल्दी- जल्दी सिंचाई करने की बहुत आवश्यकता नहीं पड़ती है ।
टमाटर की फसल में लगने वाले रोग एवं उनकी रोकथाम ( Diseases and Prevention of Tomato Crop )
टमाटर के पौधों पर अलग – अलग तरह के कीट और वायरस के रूप में फैलते है | इस तरह के कुछ रोगों के बारे जानकारी कुछ इस प्रकार है:-
टमाटर के कीट वाले रोग ( Insect Diseases in Tomato )
टमाटर की फसल में आमतौर पर कई तरह के कीट वाले रोग लग जाते है जो कि मुख्यतः पौधे के कोमल भागो को हानि पहुंचाते है | यहाँ निचे पर कुछ कीट वाले रोगो के बारे में जानकारी दी गयी है |
सफ़ेद मक्खी से होने वाले कीट रोग ( White Fly Insect Disease )
सफ़ेद मक्खी कीट टमाटर की पत्तियों का रस चूसकर पौधो को हानि पहुंचाते है | सफ़ेद मक्खी के पेशाब में शुगर की मात्रा अधिक होती है | यह मक्खी पत्ती के जिस हिस्से पर पेशाब करती है | वह पत्ती काली पड़ जाती है, तथा पत्ती का वह स्थान ढक जाने के कारण पौधे प्रकाश का संश्लेषण अच्छे से नहीं कर पाते है |
इस तरह के रोग से बचाव के लिए पौधों पर मुख्य रूप से डाइमेथोएट 30 EC , मिथाइल डेमेटॉन 30 EC की पर्याप्त मात्रा में छिड़काव करना चाहिए|
हरा तेला कीट रोग ( Green Weed Disease )
हरा तेला भी एक टमाटर की फसल पर लगने वाला मुख्य रोग है, जिसका रंग हरा होता है | यह कीट पत्तियों की निचली सतह पर जाकर पत्तियों का रस चूस लेते है, जिससे कारण पत्तिया सूख कर सिकुड़ने लगती है | इस तरह के रोग से बचाव के लिए पौधों में मुख्य रूप से मोनोक्रोटोफॉस , कार्बेरिल और फॉस्फोमिडान की पर्याप्त मात्रा का छिड़काव करना चाहिए |
तम्बाकू की इल्ली वाले कीट रोग ( Tobacco Pest Diseases )
यह एकप्रकार का लार्वा छोड़ने वाला कीट होता है, जो की पौधे के नाजुक भाग को खाकर पौधे को हानि पहुँचाता है | इस रोग के संक्रमण अधिक बढ़ जाने पर पौधे पत्तिया रहित हो जाती है | जिसके पश्चात् यह अपने लार्वे से फलो को भी नुकसान पहुंचाना शुरू कर देना है | जिसके कारण फसल की उपज को भी अधिक नुकसान होता है | इस तरह के रोग से बचाव के लिए पौधों पर मुख्यतः स्पाइनोसेड 45 एससी, डेल्टामेथ्रिन या नीम बीज अर्क में से किसी एक का उचित मात्रा में छिड़काव करना चाहिए |
फल छेदक कीट रोग ( Fruit Borer Disease )
फल छेदक कीट रोग टमाटर की फसल की पैदावार को सबसे ज्यादा हानि पहुंचाने वाला रोग होता है | यह कीट सीधा फलों में छेद कर देता है | जो कि मुख्य रूप से फल की बाहरी सतह से लटकती हुई दिखाई देती है | यह एक मात्र सुंडी अनेक फलों को ख़राब कर देती है | इस तरह के कीटो की रोकथाम के लिए पौधों पर मुख्यतः डेल्टामैथ्रिन 2 या 5 EC, स्पाइनोसेड 45 SC, NPV 250 LE या नीम बीज अर्क में से किसी एक का छिड़काव कर इस रोग से बचाव किया जाता है|
आद्र गलन
यह रोग टमाटर के पौधों में मुख्य रूप से बीज अंकुरण से पहले और बीज अंकुरण के बाद भी देखे जाते हैं। इसमें मुख्यतः पौधों के बीज और जमीन से लगे रहने वाले भाग सड़ जाते हैं। इस रोग से बचाव के लिए मुख्यतः पिथियम, फाइटोप्फथोरा, स्केलरेसीएम का छिड़काव करें |
अगेती झुलसा
टमाटर की खेती ( Tamatar ki kheti ) में यह बीमारी लगने पर पौधों पर मुख्य रूप से छोटे-छोटे धब्बे दिखाई देते हैं, और पत्तियां पीली पड़ जाते हैं। इसके निदान के लिए मुख्यतः अल्टरनेरिया सोलेनाइ का छिड़काव करें।
टमाटर की खेती में ध्यान रखने वाली बातें
- टमाटर की फसल के लिए मुख्य रूप से काली दोमट मिट्टी, रेतीली दोमट मिट्टी और लाल दोमट मिट्टी में सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है। वैसे तो टमाटर की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे उत्तम मानी जाती है, लेकिन हल्की मिट्टी में भी टमाटर की खेती अच्छी होती है।
- टमाटर की अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी का पीएच मान 7 से 8.5 होना चाहिए। क्योंकि टमाटर में मध्यम अम्लीय और लवणीय मिट्टी को सहन करने की क्षमता होती है।
- विभिन्न कीटों और मृदाजनित रोगों से बचाने के लिए बीज को मुख्यतः 3 ग्राम थायरम या 3 ग्राम कार्बेन्डाजिम से उचारित करें।
- अगर अपने गर्मी वाली टमाटर की फसल लगाई है तो 6 से 7 दिनों के अंतर में सिंचाई करना चाहिए।
- यदि आप सर्दियों में टमाटर की फसल लें रहे हो तो मुख्य रूप से 10-15 दिन के अंतर में सिंचाई करना पर्याप्त है।
- टमाटर की अच्छी उपज के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करना बहुत ही जरूरी है।
टमाटर की खेती से सम्बंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न ( FAQs )
प्रश्न -टमाटर की खेती कौन से महीने में होती है?
उतर – टमाटर की खेती ( Tamatar ki kheti ) की बाटी करे तो इसके लिए पूरा साल ही अच्छा होता है, लेकिन उत्तर भारत में ज्यादातर किसान इसकी खेती दो बार करते हैं, पहली खेती जुलाई-अगस्त से शुरू होकर फरवरी-मार्च तक चलने वाली और दूसरी खेती नवंबर-दिसंबर से शुरू होकर जून-जुलाई तक चलती है |
प्रश्न -गर्मी वाला टमाटर कब लगाया जाता है?
उतर – गर्मी की फसल के लिए दिसम्बर-जनवरी माह में बुवाई करें।
प्रश्न -टमाटर की अच्छी पैदावार के लिए क्या करें?
उतर – टमाटर की अच्छी पैदावार के लिए आपको मेरे ब्लॉग को पूरा पढ़ना होगा।
प्रश्न -टमाटर की नर्सरी कितने दिन में तैयार हो जाती है?
उतर – टमाटर की नर्सरी लगभग 20 से 25 दिनों बाद पौधे मुख्य खेत में रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं।
प्रश्न- टमाटर की खेती कौन से महीने में होती है?
उतर– टमाटर की फसल साल भर में 3 बार ली जा सकती है। मई-जून, सितंबर-अक्टूबर और जनवरी-फरवरी में बुआई की जाती है।
प्रश्न- टमाटर उगाने के लिए कौन सा मौसम सबसे अच्छा है?
उतर- टमाटर उगाने के लिए मार्च से जुलाई सबसे अच्छा मौसम होता है।
प्रश्न- क्या हम जुलाई में टमाटर की खेती कर सकते हैं?
उतर- हाँ आमतौर पर शरदकालीन फसल के लिए जुलाई से सितम्बर, बसंत या ग्रीष्मकालीन फसल के लिए नवम्बर से दिसम्बर तथा पहाड़ी क्षेत्रों में मार्च से अप्रैल महीनों में बीज की बुआई फायदेमंद होता है।
प्रश्न- टमाटर की खेती के लिए उसका पौधा कितना गहरा लगाएं?
उतर- टमाटर की खेती ( Tamatar ki kheti ) के लिए उसका पौधा 12 इंच गहराई पर लगाते है।