वर्मी कम्पोस्ट (Vermi Compost): केंचुओं का उपहार

Vermi Compost
Vermi Compost

वर्मी कम्पोस्ट (Vermi Compost) या केंचुआ खाद या वर्मी कंपोस्ट खाद

वर्मी कम्पोस्ट (Vermi Compost ) या केंचुआ खाद पोषक तत्वों से युक्त एक ऐसा जैविक खाद या जैव उर्वरक है जिसकी गुणवत्ता को पूरी दुनिया ने पहचाना है। अगर हम बात करे केंचुआ की तो सभी जानते है की केंचुआ को किसान का मित्र कहा जाता है। केंचुआ भूमि की उर्वरक क्षमता , उत्पादन क्षमता तथा भौतिक, रासायनिक व जैविक स्थिति को भी सुधारने में बहुत उपयोगी है।

जैसा कि आज के किसानो की स्थिति है, अधिकतम उपज की होड़ में रासायनिक उर्वरक का अंधाधुंध उपयोग से भूमि की उपजाऊ क्षमता दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है। इस समस्या को देखते हुए कई राज्य (जैसे- सिक्किम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश ) में रासायनिक खाद का प्रयोग एकदम ना के बराबर कर दिया है।

रासायनिक उर्वरक का एक अच्छा विकल्प वर्मी कम्पोस्ट ( Vermi Compost Khad ) भी है जिसकी गुणवत्ता और चमत्कारी लाभ हम इस ब्लॉग के माध्यम से आप सभी को शेयर करेगे। इस ब्लॉग में हम जैविक खेती में उपयोग होने वाले वेर्मी कम्पोस्ट की जानकारी, वर्मीकम्पोस्ट बनाने की विधि, केंचुआ खाद की कीमत (Vermi Compost Price), केंचुआ खाद के फायदे (Vermi Compost Benefits) साझा कर रहे है। उम्मीद है आपको हमारा ये प्रयास अच्छा लगेगा।

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वर्मी कम्पोस्ट क्या है ( Vermi Compost Meaning) या  Vermi Compost Kya Hai

केंचुओं द्वारा गोबर, सब्जी, फल एवं जैविक कचरे को खाकर उत्पन्न किये गए मल से तैयार खाद को वर्मीकम्पोस्ट ( Vermi Compost in Hindi) या केंचुआ खाद कहते है तथा इसे ही वर्मी कल्चर भी कहते है।

दुसरे शब्दों में कहे वर्मी कम्पोस्ट क्या है ( What is Vermi Compost या Vermi Compost Meaning ) या  Vermi Compost Kya Hai तो वेर्मी कम्पोस्ट केचुओं के मल/ अवशेष, अंडे, कोकून तथा सूक्ष्मजीवो के मिश्रण से प्राप्त होता है और नियंत्रित देख रेख में केंचुआ अपने भोजन को खाकर महीने भर में खाद में परिवर्तित कर देता है।

कम्पोस्ट और वर्मी कम्पोस्ट में अंतर ( Difference between Compost and Vermi Compost )

कम्पोस्ट खाद विभिन्न प्रकार के कचरे जैसे पौधों, भोजन के अवशेषों, मल और जानवरों के मल को विघटित कर बनाई जाती है। विशेष बैक्टीरिया इस प्रक्रिया में मदद करते हैं। एक अन्य प्रकार की खाद, जिसे वर्मीकम्पोस्ट कहा जाता है, केंचुआ द्वारा बनाई जाती है। अच्छी कम्पोस्ट खाद बिना किसी गंध के ढीली, भूरी या काले रंग की होती है।

क्र संखाद या कम्पोस्ट (Compost)केंचुआ खाद या वर्मी कम्पोस्ट (Vermi Compost)
1खाद या कम्पोस्ट मुख्य रूप से अपशिष्ट पदार्थ के अपघटन से बनता है।वर्मी कम्पोस्ट या केंचुआ खाद अपशिष्ट पदार्थो के अपघटन मुख्य रूप से केंचुआ द्वारा होता है।
2खाद, बैक्टीरिया और कवक जैसी छोटी जीवित चीजों द्वारा टूट जाती है, जिन्हें जीवित रहने के लिए हवा की आवश्यकता होती है।केंचुए वास्तव में महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे पत्तियों और खाद्य अवशेषों को विघटित करने में  मदद करते हैं। ये  अच्छी खाद बनाने में मदद करते है जो पौधों को बढ़ने में मदद करते है और इसमें बहुत सारी सहायक सुक्ष्म जीव भी होती हैं।
3खाद बनाने के लिए विशेषरूप से थर्मोफिलिक बैक्टीरिया ( थर्मोफाइल विशेष जीव होते है, जो 105° से 250° फ़ारेनहाइट जैसे गर्म तापमान में रह कर प्रजनन कर सकते हैं )  का योगदान होता हैं।मेसोफिलिक बैक्टीरिया ( मेसोफाइल ऐसा जीव है जो मध्यम तापमान में रहकर अपना प्रजनन करते है,  इसका अनुकूलतम सीमा 20 से 45 डिग्री सेल्सियस (68 से 113 डिग्री फारेनहाइट) तक होती है) वर्मीकम्पोस्टिंग के लिए जिम्मेदार होते हैं।
4खाद में पोषक तत्व ( नाइट्रोजन 0.6-1.2%, सल्फर 1.34-2.2%, पोटाश 0.4-0.6%, कैल्शियम 0.44%, मैग्नेशियम 0.15% ) की मात्रा कम होती है।वर्मी कम्पोस्ट में पोषक तत्व ( नाइट्रोजन की मात्रा 2.5 से 3%, फास्फोरस की मात्रा 1.5 से 2 %, पोटाश की मात्रा 1.5 से 2% तथा इसके अलावा भी जिंक, कॉपर, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर, कोबाल्ट बोरोन की मात्रा संतुलित रूप में पाई जाती है) भरपूर मात्रा में पाए जाते है।
5कंपोस्टिंग के लिए एक बड़े जगह की आवश्यकता होती है।वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन के लिए कम जगह की आवश्यकता होती है।
6इस खाद को तैयार करने के लिए लगभग 90-120  दिन लग जाते है।वर्मी कम्पोस्ट को तैयार होने में लगभग 30-35 दिन लग जाते है।
7खाद के रखरखाव और उत्पादन के लिए अधिक श्रम की आवश्यकता होती है।वर्मीकम्पोस्ट में अन्य खाद के तरीकों की तुलना में कम श्रम की आवश्यकता होती है।
8खाद मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में अमोनिया प्रदान करता है।वर्मी कम्पोस्ट मिट्टी में नाइट्रेट प्रदान करता है।
9खाद में पौधो के विकास नियामक ( पादप वृद्धि नियामक वे कार्बनिक प्रदार्थ होते है, जो पादपो में एक हिस्से से दुसरे हिस्से में जाकर पौधो की वृद्धि में सहायक होती है ) नहीं होते हैंवर्मी कम्पोस्ट में पौधों के विकास नियामक होते हैं।
10खाद किसान के लिए उपयोगी होता है।वर्मी कम्पोस्ट अंदर और बाहर दोनों जगह बनाया जा सकता है, अगर आप किसी अपार्टमेंट रहते है तो आपके लिए ये खाद बनाना बहुत ही लाभदायक है।

वर्मी कम्पोस्ट के लिए केंचुआ  ( Vermi Compost Worms )

जैसा कि हम सब बचपन से सुनते आरहे है जिस भी किसान के खेत में ज्यादा केंचुआ पाया जाता है, उसके खेत की उर्वरा शक्ति और उपजाऊ छमता बहुत ही उच्च है। लेकिन समय के अनुसार रसायनिक उर्वरक का प्रयोग बढ़ता गया और केंचुए धीरे- धीरे कम होने लगे। इसीलिए अब की समस्या को देखते हुए जैविक खेती की तरफ बढ़ना एक अच्छा कदम है।

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि वर्मी कम्पोस्ट या केंचुआ खाद के उत्पादन के लिए हम सभी प्रकार के केंचुआ का उपयोग नहीं कर सकते। भारतीय परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए वर्मी कम्पोस्ट या केंचुआ खाद बनाने के लिए दो प्रकार के केंचुए ही सर्वोत्तम होते है:

  1. लाल केंचुआ (Eisenia Foetida )
  2. अफ़्रीकी केंचुआ ( Eudrillus Engenial )

हम इन दोनों को आपस में मिलाकर भी खाद बनाने के लिए उपयोग में ला सकते है।

लाल केंचुआ ( Eisenia Foetida )

लाल केंचुआ ( Eisenia Foetida ) का नामकरण इनके रूप के आधार पर टाइगर वर्म या  बैंडिग वर्म किया गया है तथा रंग के आधार इनको लाल केंचुआ या बैगनी गुलाबी केंचुआ कहा जाता है। 3.5 सेंटी मीटर से 13 सेंटी मीटर लंबाई वाले ये केंचुआ 50 से 55 दिनों में नए केंचुआ उत्पन्न करने के लिए तैयार हो जाते है। नए केंचुआ उत्पन्न करने के लिए एक केंचुआ लगभग हर तीन दिन में औसतन एक कोकून उत्पन्न करता है तथा यह कोकून 23 दिनों में  तैयार होके 1 से 3 केंचुए की उत्पत्ति करते है।

लाल केंचुआ
लाल केंचुआ

अफ्रीकी केंचुआ ( Eudrillus Engeniae )

अफ्रिकी केंचुए खाद बनाने के मामले में लाल केंचुए से बेहतर होते है। ये आकार में लाल केंचुए से बड़े और रंग गहरा भूरा होता है। केंचुए के ये प्रजाति तेजी से और अधिक मात्रा में खाद बनाने के लिए प्रसिद्ध है। लाल केंचुआ खाद बनाने की प्रक्रिया के दौरान अधिक बच्चे भी होते हैं।

अफ्रीकी केंचुआ
अफ्रीकी केंचुआ

आमतौर पर केंचुआ को 3 भागो में बाटा गया है:

1. एपीजीइक – ये केंचुआ मुख्य रूप से भूमि के ऊपरी सतह पर रहते हैं।

2. एनीसिक – ये केंचुआ मुख्यतः भूमि के मध्य सतह में रहते हैं।

3. एण्डोजीइक – ये केंचुआ भूमि की गहरी सतह में रहते हैं।

केंचुओं में लगने वाले रोग

वैसे तो केंचुओं में सूक्ष्मजीवों से कोई रोग नहीं लगता परंतु इनके अनेक दुश्मन है जिसमें छिपकली, सांप, मेढ़क तथा चींटी प्रमुख है।

केंचुआ कहाँ से खरीदें

अगर आप केंचुआ खाद का बिजनेस करना चाहते है तो सही केंचुआ खरीदना बहुत जरूरी है। इसके लिए सबसे भरोसेमंद जगह आपके नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि विभाग ही होगा। यहाँ से आप केंचुआ खरीदने के साथ-साथ केंचुआ के रख-रखाव के बारे में भी प्रशिक्षण ले सकते है।

अगर आपके गाँव या कस्बे के नजदीकी कोई कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि विभाग नहीं है तो इसे अनलाइन (Online) सर्च करके खरीद सकते है। लेकिन इस प्रक्रिया में थोड़ा रिस्क ये है कि आपको सही केंचुआ मिलेगा की नहीं इसकी गैरन्टी नहीं है।

वर्मीकंपोस्ट बनाने की विधि या केंचुआ खाद बनाने की विधि (How to Make Vermi Compost)

वर्मीकम्पोस्ट बनाने की विधि (How to Make Vermi Compost)जिसे केंचुआ खाद बनाने की विधि

  1. सामान्य विधि (General method)
  2. चक्रीय चार हौद विधि (Four-pit method)
  3. केंचुआ खाद बनाने की चरणबद्ध विधि

वर्मीकंपोस्ट बनाने की विधि का सामान्य विधि (General method)

सामान्य विधि में वर्मी कम्पोस्ट या केंचआ खाद ( Vermi Compost Khad ) बनाने के लिए क्षेत्र का आकार आप अपनी जरूरत के हिसाब से कम या ज्यादा कर सकते है। आमतौर पर छोटे और मध्यम वर्ग के किसान के लिए 100 वर्गमीटर क्षेत्र की मात्रा पर्याप्त होती है। सामान्य विधि से अच्छी गुणवत्ता वाली खाद बनाने के लिए हम गढ्ढे ( Vermi Compost Bed ) को निश्चित आकार में पक्के ईट और सीमेंट से बनाते है जिसमे की वर्मी बेड या गढ्ढे ( Vermi Compost Bed ) की लम्बाई 3 मीटर, चौडाई 1 मीटर तथा उसकी उचाई को 30-50 सेंटीमीटर तक रखते है।

खाद बनाने के लिए हमेशा शेड वाली स्थान का ही चिन्हाकन करना चाहिए, क्योंकि तेज धुप व बारिश से खाद की  गुणवत्ता व उत्पादन दोनों खराब हो जाता है। शेड वाली स्थान से खाद की गुणवत्ता व उत्पादन निखारता है और साथ ही साथ केंचुआ के प्रजनन में भी कोई दिक्कत नहीं होता। 100 वर्गमीटर के क्षेत्र में लगभग 90 वर्मी बेड व गढ्ढे ( Vermi Compost Bed ) बनाए जा सकते है।

वर्मी बेड या गढ्ढे को भरने के लिए कार्बनीक पदार्थो का चुनाव एक बेहतर परिणाम देता है। इसके लिए हमे पेड़-पौधो की पत्तियाँ, किचन वेस्ट ( सब्जी व फल के छिलके ), घास, गोबर आदि केंचुआ खाद ( Vermi Compost in Hindi ) बनाने के लिए इस्तेमाल करता है। सभी कार्बनिक पदार्थो को अच्छे से मिला कर वर्मी बेड या गढ्ढे ( Vermi Compost Bed ) में भरने से पहले मिश्रित कार्बनिक पदार्थो के ढेर बनाकर 15-20 दिन तक छोड़ दिया जाता है, जिससे की ढेर धीरे धीरे अपघटित और अधगले रूप में आ जाता है।

समय- समय पर कार्बनिक पदार्थो के ढेर पर पानी का छिडकाव बहुत ही जरुरी है। 15-20 दिन का अधगला खाद केंचुआ के भोजन के लिए बहुत सुपाच्य होता है। अधगले खाद को वर्मी बेड या गढ्ढे ( Vermi Compost Bed ) में 50 सेंटीमीटर की उचाई तक भर देते है, इसके 3-4 दिन बाद जब कार्बनिक पदार्थ ठंढा हो जाता है तो केंचुआ को बेड में छोड़ दिया जाता है। बेड के ऊपर समय- समय पर पानी छिडकते रहना चाहिए और गीली जुट की बोरी से ढक देना चाहिए। जिससे की खाद में नमी बने रहे और केंचुआ न मरे। एक टन कचरे से आप 0.6 से 0.7 टन केंचुआ खाद ( Vermi Compost Khad ) प्राप्त कर सकते हैं।

वर्मीकंपोस्ट बनाने की विधि का चक्रीय चार हौद विधि (Four-pit method)

इस विधि में हम वर्मी कम्पोस्ट ( Vermi Compost Khad ) बनाने के लिए एक बड़ा गढ्ढा या वर्मी बेड ( Vermi Compost Bed ) बनाते है जिसकी लम्बाई 22 फीट, चौडाई 22 फीट और उचाई व गहराई 2.5 फीट होता है। इस वर्मी बेड या गढ्ढे को चार बराबर भागो में बाट देते है। जिससे की इसके चार वर्मी बेड ( Vermi Compost Bed ) बन जाते है और सभी बेड की लगभग लम्बाई, चौडाई व गहाई 5.5×5.5×2.5 फीट होती है।

बीच की दीवार को दो ईंटों को एक साथ जोड़कर मजबूत बनाते है और साथ ही साथ हम इन दीवारों में छोटे-छोटे छेद भी करते हैं। जिससे की हवा और केंचुआ का अवागम हो सकें। जैसा की नाम से पता चल रहा इसमें चार गढ्ढा ( Vermi Compost Bed ) बनता है जिसमे की हम सबसे पहले महीने में पहला गढ्ढे या वर्मी पिट को कार्बनिक पदार्थो या जैविक कचरे से भर कर उसपर पानी का छिडकाव करते है। कार्बनिक पदार्थो या जैविक कचरे नमी बनाए रखने के लिए ढेर को गीली बोरी से या काले पोलीथिन से अच्छे से ढक दे जिससे की अपघटन की प्रक्रिया आरंभ हो सके।

इसी तरह दुसरे महीने में दूसरा गढ्ढा, तीसरे महीने में तीसरा गढ्ढा तथा चौथे महीने में चौथा गढ्ढा भर कर ढक दे। पहले गढ्ढा को भराने के 15 से 20 दिन बाद जब उसका कार्बनिक पर्दार्थ या जैविक कचरा अधगले रूप में रूपांतरित हो जाता है तब गढ्ढे में भरे कार्बनिक पर्दार्थ या जैविक कचरे के तापमान को देखते (गर्मी निकाल जाने के बाद) हुए 5 किलो ( 5000 ) केंचुआ डाल कर बोर से ढक देते है साथ ही साथ समयानुसार कचरे में पानी का छिडकाव करते रहते है। इस प्रकार 3 से 4 महीने में पहले गढ्ढे का खाद बनकर तैयार हो जाता है। इसी प्रक्रिया से हम अन्य गढ्ढे का भी वर्मी काम्पोस्ट बनाकर तैयार कर लेते है।

इस खाद में कोई बदबू नहीं होती है और दिखने में ये चाय के पत्ती की तरह से दिखाई देता है। आप समय-समय इसी प्रक्रिया को अपनाते हुए पुनः खाद बना सकते है। ऐसे ही आप एक वर्ष में प्रत्येक गढ्ढे में लगभग 10 क्विंटल कार्बनिक प्रदार्थ या जैविक कचरा भरकर लगभग 7 क्विंटल केंचुआ खाद प्राप्त कर सकते हैं। वाही बात करे एक वर्ष में तो  हम चारों गढ्ढे से कुल 84 क्विंटल खाद प्राप्त कर सकते है और साथ ही साथ एक साल में एक क्यारी से 25 किलो केंचुए और चारों क्यारियों से 100 किलो केंचुए भी मिलते हैं।

वर्मीकंपोस्ट बनाने की विधि का चरणबद्ध विधि

काम्पोस्ट (Vermi Compost) केंचुआ खाद बनाने की विधि में हम कुछ क्रमबद्ध प्रक्रिया को अपनाते है जो की इस प्रकार है:

पहले चरण में हम कार्बनिक प्रदार्थ (घास, फूस, फसल अवशेष पत्तिया इत्यादि) का ढेर बना लेते है और ध्यान रहे इस में प्लास्टिक, कांच जैसी धातु नहीं होनी चाहिए। ये कार्बनिक प्रदार्थ या जैविक कचरा अपघटित नहीं होती है और ये खाद की गुणवत्ता को भी प्रभावित कर सकती है।

दुसरे चरण में कार्बनिक प्रदार्थ या जैविक कचरा के बड़े कचरे जैसे पतिया तथा पौधो के तने को 2-4 इंच छोटे –छोटे आकार में काट लेते है जिससे खाद को पकने में कम समय लगता है।

तीसरे चरण में हम सभी कार्बनिक प्रदार्थ को अच्छे से मिलाकर 1 फुट मोटी सतह को धुप में फैला देगे जिससे की कचरे में अवांछित सूक्ष्म बैक्टीरिया और कचरे से आने वाली गंध को कम किया जा सके।

चौथे चरण में हमे धुप में सुखी कार्बनिक कचरे में गोबर मिलाकर गढ्ढे ( Vermi Compost Bed ) में डालकर 20 से 25 दिनों तक अपघटित होने के लिए छोड़ देते है और समय समय पर इसपर पानी का छिडकाव करते रहते है।  

पांचवे चरण में 10 फिट लंबाई, 4 फिट चौड़ाई और 2 फिट गहराई वाले गड्ढे को चौथे चरण से प्राप्त मिश्रण को सतह दर सतह भरते है जिसके लिए हमे सबसे पहले रेत यानि बालू की 1 इंच की परत अच्छे से फैला देते है उसके बाद चौथे चरण से प्राप्त मिश्रण को 3 से 4 इंच की ऊपरी सतह को छोड़ करके बिछा देते है। उसके बाद 15 से 20 दिन पुराने गोबर से 3 से 4 इंच की एक मोटी परत बिछा देते है।

छ्टे चरण में हम बेड के तापमान को सामान्य करके गढ्ढे में लगभग 4000 से 5000 केंचुआ तथा कोकून के मिश्रण को लम्बाई के तरफ से डालते है जिससे की केंचुआ अच्छी तरह से फ़ैल कर खाद को अपघटित करना प्रारम्भ कर सके। इसके बाद इसे जुट के गीले बोरे से ढक दे।  

सांतवे चरण में प्रत्येक 2 से 3 दिन अथवा गर्मियों में 1 से 2 दिन में लगभग 30-40 लीटर पानी का छिड़काव वर्मी बेड पर करे जिससे केंचुआ अनुकूल तापमान और नमी में 2-3 इंच की गहराई में रहकर कार्बनिक अपशिष्ट को खाद में परवर्तित करने का कम करते रहे। 

आठवे चरण में लगभग एक महीने में अच्छे या अनुकूल तापमान, नमी और हवा से गढ्ढे के ऊपर 5-6 इंच मोटी सतह पर खाद बन जाता है जिसे हम केंचुआ खाद कहते है। खाद को एक तरफ से निकाल देते है और फिर थोड़ा गुड़ाई करने के बाद इसे फिर से ढक कर नमी के लिए पानी का छिडकाव करते है।

नैवे चरण में लगभग 14 से 15 दिन के बाद दूसरी सतह की खाद की 4-6 मींच की मोटी परत तैयर हो जाती है इस को भी निकाल कर उपयोग कर सकते है। गढ्ढे या वर्मी बेड ( Vermi Compost Bed ) को फिर से ढक दे और नमी के लिए पानी का छिड़काव करते रहे।

दसवे चरण  में पहले की भाति लगभग 14 से 15 दिन के बाद फिर से खाद की तीसरी सतह को एकत्र कर लिया जाता है। इस विधि से कुल 4 चक्र में वर्मी काम्पोस्ट या केंचुआ खाद तैयार हो जाता है।

ग्यारहवे चरण में खाद की तीसरी सतह के तैयार होते ही अगले चक्र का वर्मी काम्पोस्ट या केंचुआ खाद बनाने की तैयारी सुरू कर दे। पिछले चक्र के खाद के चौथे परत के बनाने के साथ ही अगले चक्र के पहले से लेकर चौथे चरण तक का कार्य पूरा हो जाना चाहिए।

बरहवे चरण में प्रत्येक परत से निकले गए वर्मी काम्पोस्ट या केंचुआ खाद दो से तीन दिन तक इस तरह सुखाए कि उसमें 20 से 25 प्रतिसत नमी बनी रहे। इसके बाद 4mm की जाली से छानकर प्लास्टिक के बैग में भरकर सील कर दे जिससे खाद की नमी बरकरार रहे। इसे कमरे में भी रख सकते है परंतु खाद में नहीं की कमी होने पर पर्याप्त मात्रा में पानी का छिड़काव कर नमी को बरकरार रखना पड़ेगा। इस प्रकार आप इसे 1 साल तक 20 से 25 प्रतिसत नमी को मेनटेन रखते हुए सुरक्षित रख सकते है।

तेरहवे चरण में कुछ केंचुए, इसके अण्डे या कोकून और थोड़े खाद बच जाएंगे जिन्हे अगले चक्र में केंचुआ खाद बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। इसके बाद भी जो केंचुए बच जाएंगे उन्हे बेचकर अतिरिक्त मुनाफा कमा सकते है।

चौदहवे चरण में खाली किए गए वर्मी बेड में अगले चक्र के लिए तैयार हुवे आधे सड़े जैविक कचरे को भरकर खाद बनाने की प्रक्रिया पुनः सुरू कर सकते है।

वर्मी काम्पोस्ट या केंचुआ खाद में पाये जाने वाले पोषक तत्व और उनकी मात्रा

पोषक तत्वमात्रा (प्रतिशत)
जैविक कार्बन9.5 -17.98
नाइट्रोजन0.6 – 0.8
फास्फोरस0.37 – 0.8
पोटैशियम0.15 – 0.56
सोडियम0.06 – 0.30
कैल्शियम तथा मैग्निशियम22.67 से 47.60 meq/100g
कॉपर2 – 9.5 mg/kg
आयरन2 – 9.3 mg/kg
जिंक5.7 – 11.5 mg/kg
सल्फर128 – 548 mg/kg

वर्मी कंपोस्ट का उपयोग

बात करे वर्मी कंपोस्ट का उपयोग के बारे में तो मृदा यानि मिट्टी, कृषक यानि किसान तथा पर्यावरण यानि वातावरण या जलवायु के दृष्टिकोण से अपने उपयोग और फायदे है जिनका जिक्र आगे किया गया है।

मृदा की दृष्टि से

  • वर्मी कम्पोस्ट भूमि के लिए वरदान है, क्योंकी ये भूमि या मृदा की उर्वरता शक्ति को बढ़ने के लिए मदद करता है। मृदा में उपस्थित सूक्ष्म जीवो को एक्टिव करने में सहायक है।
  • भूमि की जल धारण छमता को बेहतर बनता है।
  • मृदा में उपस्थित लाभदायक जीवाणु की संख्या में धीरे- धीरे वृद्धि करता है।
  • मृदा में वाष्पीकरण को कम करता है जिससे की सिचाई में पानी की बचत होती है।
  • वर्मी कम्पोस्ट से मिट्टी की संरचना, सरंध्रता और घनत्व में सुधर होता है, जो की पौधों की जड़ों के लिए बेहतर और स्वस्थ्य वातावरण तैयार करता है।
  • मृदा अपरदन और अपवाह में भी सुधर होता है।
  • वर्मी कम्पोस्ट भूमि की गुणवत्ता को धीरे- धीरे सुधारे में सहयोग करता है।

किसान की दृष्टि से

  • किसान की दृष्टि से देखा जाए तो हम वर्मी कम्पोस्ट के माध्यम से हम रासायनिक उर्वरक के प्रयोग में काफी हद तक कमी ला सकते है।
  • वर्मी कम्पोस्ट किसान को अच्छी उपज के साथ ही साथ रोजगार के औसर प्रदान करता है।
  • किसान की दृष्टि से देखा जाए तो कम लागत में अच्छा उपज और मुनाफा दे सकता है।
  • छोटे किसान इसको व्यपार के रूप में भी उपयोग ला सकते है।

पर्यावरण की दृष्टि से

  • वर्मी कम्पोस्ट के उपयोग से भूमि के जल स्तर में वृद्धि होती है।
  • यह हवा, मिट्टी और पानी को स्वस्थ रखकर पृथ्वी को स्वच्छ बनाने में मदद करता है।
  • वर्मी कम्पोस्ट बनाने के लिए कचरे का उपयोग करके पौधो में लगने वाली बीमारियों और इंसानों को रासायनिक उर्वरक वाली उत्पाद को खाने से होने ववाली बीमारियों को रोकने में मदद करता है।
  • केंचुएँ खाद का उपयोग मुख्य रूप से भूमि, पर्यावरण एवं अधिक उत्पादन की दृष्टि से बहुत लाभदायी है।

अन्य उपयोग

  • वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग हम किचन गार्डन में करते है।
  • केंचुआ से प्राप्त एमिनो एसिड एवं एनजाइमस् से कीमती दवाई बनाने में उपयोग किया जाता है।
  • केंचुओं के सूखे पाउडर में काफी मात्रा (60-65 % ) में प्रोटीन होता है और इसे भोजन में इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • केंचुओं का उपयोग पक्षियों, पालतू जानवरों, मुर्गियों और मछलियों के भोजन के रूप में भी किया जाता है।
  • इनका उपयोग कुछ प्रकार की पारंपरिक दवाएं और यहां तक ​​कि पाउडर, लिपस्टिक और मलहम जैसे सौंदर्य प्रसाधन बनाने के लिए किया जाता है।
  • कार्बनिक प्रदार्थ को खाद के रूप में बदलना।
  • वेमी कम्पोस्ट अच्छे फसल उत्पादन के लिए ph, विद्युत चालकता और कार्बनिक पदार्थ सामग्री जैसे मृदा के रासायनिक गुणों को बेहतर बनान के जरिया है।
  • वर्मी कम्पोस्ट सूक्ष्म पोषक तत्व की भी आपूर्ति करता है।
  • रोजगार की दृष्टिकोण से आज के समय का अच्छा और बेहतर मुनाफा देने वाला रोजगार है। क्योंकि दिनप्रति दिन लोग अपने सेहत को लेके चिंतित होते जा रहे और धीरे धीरे लोग जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे इसलिए आने वाले समय में ये रोजगार का एक अछा विकल्प है।

वर्मी कम्पोस्ट के लाभ या केंचुआ खाद के फायदे (Vermi Compost Benefits)

वर्मी कम्पोस्ट के लाभ के बारे में बात करे तो यह पोषक तत्वों से भरपूर एक बेहतर और उतम जैव उर्वरक है। पोषक तत्व के साथ ही साथ इसमें कुछ हार्मोन्स, एंजाइम और सूक्ष्म तत्व पाए जाते है, जो की मृदा और पौधो के लिए बहुत उपयोगी है। वर्मी कम्पोस्ट या केंचुआ खाद में एकदम बदबू नही होती है और दिखने में ये चाय की पत्ती के तरह दानेदार और काले रंग के होते है।

इसके लाभ निम्नलिखित है:

  • किसान अपने घर के पास की खाली जमीन का उपयोग करके कम लागत में काफी मुनाफा कमा सकता हैं।
  • वर्मी कम्पोस्ट में कार्बिनक पदार्थों का विघटन करने वाले एंजाइम भी काफी मात्रा में रहते है, जो की मृदा में वर्मी कम्पोस्ट के एक बार प्रयोग करने के बाद काफी  लंबे समय तक सक्रिय रहते हैं।
  • वर्मी कम्पोस्ट खाद कम समय में तैयार होने वाला खाद है और इसके अनेको लाभ है।
  • वर्मीकम्पोस्टिंग कार्बनिक प्रदार्थ और पौधों के अवशेषों को खाद में अपघटित करने में सहायक है। केंचुआ खाद पर्यावरण के सापेक्ष में भी बहुत अच्छा है क्योंकि इसमें किसी भी प्रकार के रसायन का उपयोग नहीं होता है।
  • वर्मीकम्पोस्ट के प्रयोग से पौधों में लगने वाली रोग में भी बहुत हद तक निजात मिलता है और इससे रोग प्रतिरोधक छमता में भी वृद्धि होती है। इसके साथ ही साथ पौधे में अधिक मात्रा में फल और फूल लगते हैं। एक्सपर्ट की माने तो देखा गया है कि वर्मीकम्पोस्ट वाली मिट्टी यानि जिस भी मृदा में वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग होता है उसमे खरपतवार बहुत कम उगती है।
  • साधारण खाद जैसे गोबर खाद की अपेक्षा में केंचुआ खाद में पोषक तत्व अधिक मात्रा में पाई जाती है। जैसा की आप मेरे इस ब्लॉग के ऊपर की गोबर खाद और केंचुआ खाद की अंतर से पढ़ कर पता कर सकते है।
  • केंचुआ खाद में बहुत से सूक्ष्म जीव होते है और इसके उपयोग से भूमि की उर्वरता में वृद्धि होती है। 
  • केंचुआ के उपयोग से मृदा की भौतिक, रासायनिक तथा जैविक गुण को सुधारने में बहुत उपयोगी है। इसके उपयोग से मृदा में जल धारण की छमता ,मृदा कटाव और साथ ही साथ उपज में भी लगभग 15-20 % तक की वृद्धि होती है।
  • वर्मी कम्पोस्ट वाली मृदा में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश का अनुपात 5:8:11 में पाया जाता है, जो कि फसलो के लिए पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व है।
  • वर्मी कम्पोस्ट में प्रयोग होने वाले केंचुए के मल या उनके अपशिष्ट में एक विशेष प्रकार की पेरीट्रापिक झिल्ली पाई जाती है, जो मृदा से धुल के कणों को चिपका देती है जिससे की भूमि का वाष्पीकरण होने में कमी लती है।
  • केंचुए के शरीर की बनावट की बात करे तो ये अधिकतर स्पंज की तरह पानी से बने होते हैं। इसका मतलब यह पानी कम होने के बाद भी जीवित रह सकते हैं और मरने के बाद भी ये मिट्टी में नाइट्रोजन प्रदान करते हैं।
  • केंचुआ खाद पौधों के लिए जादुई भोजन की तरह है। यह मिट्टी को अच्छी और हवादार रहने में मदद करता है, जो महत्वपूर्ण है क्योंकि पौधों को बढ़ने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है।
  • वर्मी कम्पोस्ट (Benefits & Uses of Vermi Compost) का उपयोग करने वाले खेतों में भिन्न भिन्न फसलों के उत्पादन में लगभग 25-300% तक की वृद्धि हो सकती हैं।
  • केंचुआ खाद में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, और कैल्शियम, मैग्नीशियम, तांबा, लोहा, जस्ता और मोलिब्डेनम जैसी कई महत्वपूर्ण एलिमेंट होते हैं और साथ ही साथ इसमें जैविक कार्बन भी अच्छी मात्रा में होता है।
  • वर्मीकम्पोस्टिंग खाद्य अवशेषों को पुनर्चक्रित करने और उन्हें समृद्ध मिट्टी में बदलने का एक विशेष तरीका है। यह खेतों को रसायनों का उपयोग किए बिना स्वस्थ भोजन उगाने में मदद करता है।

वर्मी काम्पोस्ट को विभिन्न फसलों में डालने की सही मात्रा एवं समय:

फसलप्रति एकड़ मात्र (टन)डालने का समय
धान1मचाई के पहले
गन्ना1.5अंतिम जुताई
मिर्च1अंतिम जुताई
मूँगफली0.5अंतिम जुताई
सूर्यमुखी1.5अंतिम जुताई
मक्का1अंतिम जुताई
हल्दी1अंतिम जुताई
प्याज, लहसुन, टमाटर, आलू, भिण्डी, बैगन,पत्तागोभी, फूल गोभी1.5-2  अंतिम जुताई
अनार, बेर, अमरूद2 कि.ग्रा./वृक्षरोपण के समय तथा 1-2 वर्ष बाद
आम, नारियल2 कि.ग्रा./वृक्ष 5 कि.ग्रा./वृक्ष 10 कि.ग्रा./वृक्ष 20 कि.ग्रा./वृक्षरोपण के समय 1-5 वर्ष पुराने वृक्ष 6-9 वर्ष पुराने वृक्ष 10 वर्ष से अधिक उम्र के वृक्ष
सागौन, लाल चंदन, मैन्जियम एवं वानिकी पौधे3.5 कि.ग्रा./वृक्षरोपण के समय

वर्मी कंपोस्ट से हानियां

  • वर्मी कम्पोस्ट की हानिया तो बहुत नहीं है क्योंकि ये जैविक खाद है। इसका कोई बुरा प्रभाव भी नहीं पड़ता है, लेकिन फिर भी कुछ जो बहुत कॉमन है उसका उल्लेख निम्नलिखित है –
  • कार्बनिक प्रदार्थ को खाद में परिवर्ती होने में कम से कम 6 महीना तक का समय लग जाता है।
  • प्रारम्भ में जब खाद को भरते है उस समय इसका दुर्गन्ध बहुत ही ख़राब होता है।
  • वर्मी कम्पोस्ट के रखरखाव के लिए उच्च प्रबंध होना चाहिए।
  • वर्मी कम्पोस्ट के उपयोग से भूमि को सुधारने के लिए कम से कम 3-4 साल लग जाता है।
  • बड़े या व्यापारी स्तर पर इसका उपयोग नहीं किया जा सकता है।
  • वर्मि कम्पोस्ट के उपयोग से पहले साल तो उत्पादन बहुत ही कम होता है। अच्छे उत्पादन के लिए कम से कम 3-5 साल का समय लग जाता है।

प्रश्न-केंचुआ कैसे पैदा करें ?

उत्तर-केंचुआ अपनी संख्या को बढ़ने के लिए  प्रजनन करते है जिससे की केंचुआ का कीड़े अंडे देते हैं, जिनके माध्यम से छोटे कीड़े निकलते हैं। केंचुआ के शिशु कीड़े कोकून में परिवर्तित होते हैं। मुख्य रूप से  60 से 90 दिनों तक शिशु होते हैं और वयस्क होते होते लगभग एक वर्ष का समय लगता है।

प्रश्न-Vermi Compost NPK Ratio ?

उत्तर- वर्मी कम्पोस्ट युक्त मिट्टी में मुख्य रूप से नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश ( N:P:K) का अनुपात 5:8:11 होता हैं।

प्रश्न-केंचुआ खाद की कीमत ?

उत्तर- केंचुआ खाद या वर्मी काम्पोस्ट की कीमत की बात करे तो ये बाजार मे 1, 2, 5, 10 और 50 किलो के थैलों में बेचा जाता है ओर इसके गुणवत्ता के आधार पर 5 रुपये से लेकर 20 रुपये प्रति किलोग्राम तक का मूल्य पर भी मिल जाता है।  केंचुआ खाद के साथ ही साथ अन्य किसान तो केंचुआ को भी 500 रुपये प्रति किलोग्राम बेचकर भी अच्छी कमाई कर रहे है।

प्रश्न-50 किलो कीमत वर्मीकम्पोस्ट ?

उत्तर- जैसा की ऊपर के प्रश्न मे इसका उल्लेख किया गया है तो उसके हिसाब से अगर 5 रुपये की हिसाबब से 250 रुपया और 20 रुपया के हिसाब से 1000 रुपया।

प्रश्न-वर्मी कंपोस्ट बनाने की विधि क्या है?

उत्तर- वर्मी कंपोस्ट या केंचुआ खाद बनाने के लिए निम्न विधि का उपयोग किया जाता है और ज्यादा जानकारी के लिए ब्लॉग को पूरा पढे।
1. सामान्य विधि (General method)
2. चक्रीय चार हौद विधि (Four-pit method)
3. केंचुआ खाद बनाने की चरणबद्ध विधि

प्रश्न-वर्मी कंपोस्ट 1 एकड़ में कितना डालना चाहिए?

उत्तर- वर्मी कंपोस्ट की मात्रा मुख्य रूप से फसल के आधार पर निर्धारित की जाती है। जैसे की दलहनी फसल के लिए 2 टन / एकड़,धान की फसल मे 2 टन/ एकड़, तिलहनी फसल मे 3-5 टन / एकड़ और मसाले वाली फसलों मे 4 टन / एकड़ की मात्रा पर्याप्त होती है।

प्रश्न -वर्मी कंपोस्ट में कौन कौन से तत्व पाए जाते हैं?

उत्तर- वर्मी कम्पोस्ट में मुख्य रूप से नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, कैल्सियम, मैग्नीशियम आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं ओर साथ ही साथ इसमे विभिन्न प्रकार के लाभकारी सूक्ष्मजीव भी पाये जाते हैं।

प्रश्न – वर्मी कंपोस्ट का उपयोग ?

उत्तर- वर्मी कमोपोस्ट का सबसे अच्छा उपयोग  ये मृदा की गुदवत्ता और उर्वरता को सुधारे मे सहायक है।

प्रश्न – वर्मी कंपोस्ट से हानिया ?

उत्तर- केंचुआ खाद से होने वाले हानी निम्न है –
1. कार्बनिक प्रदार्थ को खाद में परिवर्ती होने में कम से कम 6 महीना तक का समय लग जाता है।
2. प्रारम्भ में जब खाद को भरते है उस समय इसका दुर्गन्ध बहुत ही ख़राब होता है।
3. वर्मी कम्पोस्ट के रखरखाव के लिए उच्च प्रबंध होना चाहिए।

Referrence: https://kvk.icar.gov.in/

About sapana

Studied MSc Agriculture from Banaras Hindu University and having more than 2 years of field experience in field of Agriculture.

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