Barsat me sabji ki kheti | Seasonal Sabji | बरसात में सब्जी की खेती | वर्षा ऋतु की सब्जियों के नाम | बरसात के मौसम में कौन सी फसल होती है | बरसात में सब्जी की खेती कैसे करें | खरीफ की सब्जियां | बरसात में कौन सी सब्जी की खेती करें | बरसात में सब्जी की खेती | बरसात में आलू की खेती | Barsat Me Konsi Fasal Foti Hai | सबसे महंगी बिकने वाली फसल | जून जुलाई में बोई जाने वाली सब्जी | Barish Me Konsi Kheti Kare | महंगी सब्जी की खेती | बारिश के मौसम में कौन कौन से फल आते हैं | गर्मी के मौसम में उगाई जाने वाली सब्जियां
बरसात में सब्जी की खेती ( VEGETABLE FARMING IN RAINY SEASON IN HINDI )
हम इस ब्लॉग में बरसात में सब्जी की खेती कैसे की जाए और बरसाती सब्जी कौन-कौन सी होती है, इसका क्या लाभ है और इसके कुछ महत्वपूर्ण बिंदु जिस पर हम इस ब्लॉग में चर्चा करेगे तो आएये हम ब्लॉग को प्रारम्भ करते है |
सब्जी आज से नहीं पहले से ही किसान के लिए एक फायदामंद का सौदा रहा है | किसान को जब कभी लगता है, कि अब इस खेती में किसान को किसी प्रकार का फायदा नहीं होने वाला है। तभी किसान के लिए सब्जी एक वरदान के रूप में मुख्य रूप से काम करती है। आज के दौर में मुख्यतः सभी किसान थोड़े क्षेत्र में अपना पालन पोषण करने के लिए किसी न किसी प्रकार की सब्जी की खेती जरूर ही करता है।
वैसे तो भारत में पूरे साल में अलग-अलग प्रकार की सब्जियाँ उगाई जाती है लेकिन मुख्य रूप से बरसात में सब्जी की खेती की बात करे तो भारत में सबसे ज्यादा सब्जी का उत्पादन किया जाता है, और सबसे मुख्य कारण यह है की इस समय मानसून के पानी में पौष्टिक तत्वों की बारिश होती है। जिसके फलस्वरूप सब्जियों का अच्छा उत्पादन होता है।
वैसे तो सभी को पता है कि सभी सब्जियों को लगाने का अलग-अलग सीजन होता है जैसे कि सर्दी में सब्जी की खेती, गर्मी में सब्जी की खेती और बरसात में सब्जी की खेती, इन तीनों सीजन में मुख्य रूप से अलग-अलग प्रकार की सब्जियां लगाई जाती हैं। परन्तु आपके जानकारी के लिए बता दे की कुछ सब्जियां ऐसी भी होती हैं जिनकी खेती आप पूरे वर्ष कर सकते हैं। जैस- फ्रेंच बीन्स की खेती , फ्रेंच बींस, मूली की खेती, पालक की खेती, पत्ता गोभी की खेती, बैंगन की खेती आदि।
अगर बरसात में सब्जी की खेती की बात करे तो इसमें फसल का उत्पादन अच्छा देखा गया है, वही बात करे बहुत सारे किसान जो की बिना मौसम की सब्जी की खेती करते हैं, उनका उत्पादन तो बहुत कम होता है, और लागत भी ज्यादा लगता है, लेकिन बात करे इसकी मांग और कीमत की तो वह बहुत अधिक मुनाफा देती है | जिससे की किसान को अधिक लाभ प्राप्त होता है |
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वर्षा ऋतु की सब्जियों के नाम | खरीफ की सब्जियां ( VEGETABLES OF KHARIF )
हमारे भारत में बरसात में सब्जी की खेती की बात करे तो यह जून से लेकर अगस्त तक होता है। ऐसे में बरसात में मुख्य रूप से कुछ सब्जियों की नर्सरी तैयार की जाती है तो वहीं बहुत प्रकार की सब्जियों की मुख्य खेतों में बुआई की जाती है | इस मौसम में मुख्य रूप से कद्दू, ब्रोकोली, पालक, शकरकंद, खीरा, मकई, बैंगन, अदरक, लहसुन, चुकंदर, और सब्जियों का सेवन उचित होता है।
इसके साथ ही साथ पालक की खेती, भिंडी की खेती, ककड़ी की खेती, ग्वार की खेती, शिमला मिर्च की खेती, शकरकंद की खेती, खीरा की खेती, आलू की खेती, लौकी की खेती, करेला की खेती, गाजर की खेती, टमाटर की खेती आदि की खेती करना लाभदायक होता है।
खरीफ की सब्जियों की खेती का सही समय तथा बुवाई से पहले इन बातों का रखें ध्यान
जून से अगस्त तक का महीना खरीफ की सब्जियों की खेती या बरसात में सब्जी की खेती की बुवाई का सही समय होता है। इन महीनो में सब्जीया लगाने से पहले हमे कई बातों का ध्यान भी रखना चाहिए। जैसे कि वातावरण में नमी व अधिक तापमान, जलवायु व एरिया को देखते हुए सब्जियों के किस्मों का चयन सही रूप से करना चाहिए।
इस समय आप कद्दू वर्गीय सब्जियो की खेती जैसे लौकी की खेती, करेला की खेती, खीरा की खेती आदि फसलों को भी लगा कर लाभ कमा सकते हैं और इतना ही नहीं इसके साथ ही टमाटर की खेती, मिर्च की खेती, फूलगोभी की खेती, प्याज की खेती, भिण्डी की खेती जैसी सब्जियों की खेती कर मुनाफा कमा सकते हैं।
इस समय का सबसे महत्वपूर्ण बिंदु और सबसे ज्यादा ध्यान देने वाली बात यह होती है कि सब्जी के किस्मों का चयन मौसम के अनुसार से ही करें। आपको बाता दे कि बारिश में वायरस से होने वाले रोगों का प्रकोप बहुत ज्यादा रहता है इसलिए किसान भाईयो को मुख्य रूप से कीट व रोग प्रतिरोधी किस्मों का ही चयन करना चाहिए।
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बरसात में सब्जी की खेती के लिये खेत की तैयारी ( FIELD PREPRATION )
बरसात में सब्जी की खेती के लिए हमे पहले खेत की तैयारी करनी होगी, इसके लिए हमे खेत को अच्छी तरह से जुताई करके समतल करना चाहिये और बरसात में सब्जी की खेती के लिए पौधों की रोपाई मेढ़ों पर ही करना चाहिए। प्याज की खेती के लिए किसान को सामान्य रूप से खेत में एक मीटर चौड़ी और 15 सेमी उठी हुई पट्टियां बनाकर उन पर रोपाई करनी चाहिए जिससे की जल निकासी में सुगमता हो।
कद्दूवर्गीय सब्जियों और टमाटर की फसल को खरीफ के मौसम में वर्षा के पानी से नुकसान होने की संभावना रहती है। इससे साथ ही पौधों में कई प्रकार के रोग तथा उसकी उत्पादन की गुणवत्ता में भी हानि होने की संभावना बढ़ जाती हैं । इसलिए किसान भाईयो को खेत में 10-15 फीट की दूरी पर बांस लगाकर उन पर लोहे के तार को सामान्य रूप से कस देना चाहिए। अब इन तारों पर प्रत्येक पौधों को धागा या सुतली की सहायता से बांध दे। इस विधि को मचान विधि भी बोलते है और इसका सीधा प्रभाव सब्जी के उत्पादन, वज़न, और आकार पर पड़ता है जोकि किसान भाइयो को उच्च गुणवत्ता की सब्जी दिला सकता है।
बरसात में सब्जी की खेती के लिये निराई-गुड़ाई ( WEEDING )
बरसात में सब्जी की खेती के लिए निराई-गुड़ाई बहुत जरूरी प्रक्रिया है जिसका अर्थ खेत की साफ-सफाई करना होता है। इसका मूल उदेश्य यह है कि मुख्य फसल की वृद्धि अच्छी हो सके। समय-समय पर खरपतवारों को निकालने से मुख्य फसल को पानी और पोषक तत्वों के लिए एक दुसरे से प्रतिस्पर्धा नहीं करनी पड़ती है।
खरपतवार नियंत्रण के लिए मुख्य रूप से प्रयोग होने वाले कृषि उपकरण खुरपी, कुल्पा, वीडर होते है। इसके साथ ही बाजार में रसायनिक खरपतवार नाशक भी मिलते है जिनका प्रयोग फसल विशेष को ध्यान रखते हुए किया जा सकता है।
वर्तमान में खरपतवार नियंत्रण के लिए मुख्यतः 25 माइक्रोन मोटाई वाली प्लास्टिक मल्च फिल्म का प्रयोग किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है। इस विधि में किसान मेढ़ पर रोपाई के पहले प्लास्टिक फिल्म को खेत में बिछा देते है और रोपाई करते समय इनमें निश्चित दूरी पर छेद करके पौधों की रोपाई की जाती है।
बरसात में सब्जी की खेती के लिये सिंचाई ( IRRIGATION )
बरसात में सब्जी की खेती में सिचाई वर्षा को ध्यान में रखते हुए ही की जाती है। इसमें सामान्यतया 6-8 दिनों के में ही सिंचाई करते हैं। आजकल आधुनिक कृषि में दिन प्रतिदिन नवीनीकरण को देखते हुए बहुत से माध्यम से सिचाई की जा सकती है लेकिन आप अपनी सुविधा और जरूरत के अनुसार ही इसका चुनाव करे। वैसे खर्च को ध्यान में रखते हुवे आजकल जो भी किसान सब्जी के उदेश्य के लिए खेती कर रहे है वे सिंचाई के लिए मुख्य रूप से टपक सिंचाई का उपयोग कर ज्यादा लाभ कमा रहे है।
टपक सिंचाई में आपको पानी तथा उर्वरकों की बचत के साथ-साथ मजदूरों की भी कम आवश्यकता होती है। साथ ही साथ इसमें पानी को सीधे पौधों की जड़ों के पास बूंद-बूंद के रूप में पहुंचा दिया जाता है। सीमांत और छोटे किसान भी इस टपक सिचाई का फायदा ले सकते है। इसको लगवाने के लिए सरकार द्वारा अनुदान दिया जाता है |
बरसात में बोई जाने वाली सब्जियां ( DISCRIPTION OF RAINY SEASON VEGETABLE )
बरसात में बोई जाने वाली सब्जियां आपको अक्सर ज्यादा मुनाफा दे के जाती है, बरसात में बोई जाने वाली सब्जियां कुछ इस प्रकार है:
खीरा ( CUCUMBER )
खीरा बरसात में सब्जी की खेती करने वाले किसान भाइयो की पहली पसंद होती है और आपके जानकारी के लिए बता दे की खीरे का मूल स्थान भारत है। खीरा एक बेल की तरह लटकने वाला पौधा है जिसका प्रयोग लगभग सारे भारत में गर्मियों में सब्ज़ी के रूप में किया जाता हैं। भारत में जायद सीजन ( फरवरी-मार्च माह ) में खीरा की खेती का अपना एक मुख्य स्थान है और इतना ही नहीं बल्कि इसके साथ ही कद्दूवर्गीय सब्जियों में खीरा को सबसे महत्वपूर्ण फसल के रूप में माना गया है।
खीरे के फल को कच्चा, सलाद या सब्जियों के रूप में भी बहुत ज्यादा प्रयोग किया जाता है | सामान्यरूप से खीरे की खेती के लिए 120-150 मिलीमीटर बारिश की आवश्यकता होती ही है। साथ ही तापमान की बात करे तो यह मुख्य रूप से 25-30 डिग्री खीरे के लिए सबसे उत्तम रहता है। खीरे की खेती के लिए भूमि में जलनिकासी की व्यवस्था अच्छे से होना चाहिए।
खीरा के बुवाई का समय ( SOWING TIME OF CUCUMBER )
खीरे की बुवाई का अलग-अलग जगह पर अलग-अलग समय होता है, उत्तरी भारत की बात करे तो यहाँ मुख्य रूप से खीरे की बुवाई फरवरी-मार्च व जून-जुलाई (बरसात में सब्जी की खेती) में की जाती है और वही अगर पर्वतीय क्षेत्रों की बात करें तो यहां मुख्यतः खीरे की बुवाई मार्च-जून तक की जाती है।
खीरा की उन्नत किस्मे ( IMPROVED VARIETIES OF CUCUMBER )
पूसा संयोग, पंत संकर खीरा-1, पंत खीरा-1, मालिनी जूही खीरे की कुछ उन्नत किस्मो में आते है।
- बीज दर 3-4 किलो बीज पर्याप्त होता है।
- इसकी बुवाई मुख्य रूप से लाइन में करते हैं। ग्रीष्म के लिए खीरे की खेती के लिए लाइन से लाइन की दूरी 1.5 मीटर तथा पौधे से पौधे की दूरी 75 सेमी. रखते है। वर्षा वाली खीरे की फसल की वृद्धि अपेक्षाकृत कुछ अधिक होती है, अत: इसमें लाइन से लाइन की दूरी मुख्य रूप से 1.5 मीटर तथा पौधे से पौधे की दूरी 1.0 मीटर रखना चाहिए।
- बरसात में सब्जी की खेती के लिए खीरे के पौधों का अच्छे से ध्यान रखना बहुत ही जरुरी होता है। और इतना ही नहीं अगर बरसात समय पर न आए तो सिचाई के लिए उचित प्रबंध रखना भी बहुत जरूरी है।
भिंडी ( LADY FINGER )
बरसात में सब्जी की खेती में एक भिंडी की फसल भी है जो कि अच्छा उत्पादन देती है। भिन्डी एक लोकप्रिय और सबकी पसंद वाली सब्जी है और बात करे खरीफ या बरसात के सब्जी के बारे में तो ये सब्जियों में अपना प्रमुख स्थान रखती है जिसे लोग लेडीज फिंगर ( LADIES FINGER) या ओकरा ( OKARA ) के नाम से भी जाना जाता हैं।
भिंडी में पाए जाने वाले पोषक तत्त्व
भिंडी में मुख्यतः प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, खनिज लवणों जैसे कैल्शियम, फास्फोरस के अतिरिक्त विटामिन ‘ए’, बी, ‘सी’, थाईमीन एवं रिबोफ्लेविन इत्यादि पाया जाता है।
भिंडी के बुआई का समय ( SOWING TIME OF LADY FINGER )
- ग्रीष्मकालीन -फरवरी-मार्च
- वर्षाकालीन -जून-जुलाई
NOTE- भिंडी की फसल लगातार लेनी है, तो मुख्य रूप से तीन सप्ताह के अंतराल पर फरवरी से जुलाई के मध्य में अलग-अलग खेतों में भिंडी की बुवाई सामान्य रूप से की जा सकती है।
भिंडी के उत्तम किस्में ( IMPROVED VARIETIES OF LADY FINGER )
पूसा ए-4, परभनी क्रांति,पंजाब-7,अर्का अभय,अर्का अनामिका,वर्षा उपहार,हिसार उन्नत,वी.आर.ओ.-6
- बरसात में सब्जी की खेती में गोबर की खाद का बहुत बड़ा योगदान रहता है। क्योंकि इस समय गोबर की खाद पुरी तरह से गल जाती है। जिससे इसका छिड़काव फसल में करने से बहुत अच्छी उपज के साथ ही साथ भूमि की उर्वरता को बनाए रखती है।
टमाटर ( TOMATO )
बरसात में सब्जी की खेती की बात करे तो उसमें टमाटर मुख्य रूप से उन सब्जियों में से है जिसका उपयोग हम पूरे साल करते है। इसी कारण इसकी मांग हर समय बाजार में रहती है। इसलिए किसान भाइयो टमाटर की खेती एक बहुत अधिक मुनाफे वाली खेती होती है। बरसात में तापमान 25-35 डिग्री सेल्सियस के बीच में रहता है, जो टमाटर को तैयार करने में सहायक होता है।
टमाटर की बुवाई समय ( SOWING TIIME OF TOMATO )
- नवंबर माह के अंत में टमाटर की नर्सरी तैयार कर जनवरी में टमाटर के पौधे की रोपाई कर सकते हैं,और पौधों की रोपाई मुख्य रूप से जनवरी के दूसरे सप्ताह में करना चाहिए।
- अगर आप सितंबर माह में टमाटर की रोपाई करना चाहते हैं, तो मुख्यतः इसकी नर्सरी जुलाई के अंत में तैयार करें और साथ ही साथ पौधे की बुवाई अगस्त के अंत या सितंबर के पहले सप्ताह में कर लेना चाहिए।
- टमाटर की फसल को जून-जुलाई में बोया जाता है। यह समय बारिश का होता है, इस कारण इसे बरसाती टमाटर की खेती भी कहा जाता है।
टमाटर की उन्नत किस्में ( IMPROVED VARIETIES OF TOMATO )
- देशी किस्में: पूसा शीतल, पूसा-120, पूसा रूबी, पूसा गौरव, अर्का विकास, अर्का सौरभ और सोनाली इत्यादि प्रमुख हैं।
- हाइब्रिड किस्में: पूसा हाइब्रिड-1, पूसा हाइब्रिड-2, पूसा हाईब्रिड-4, रश्मि और अविनाश-2 इत्यादि प्रमुख हैं।
प्याज ( ONION )
बरसात में सब्जी की खेती में प्याज की फसल को मुख्य रूप से अप्रैल के महीने में खेतों में लगाया जाता है। खासतौर पर इस बात का विशेषरूप से ध्यान रखना जरूरी होता है, कि पौधों की रोपाई के समय का तापमान सामान्य रूप से 30 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा न हो। बरसाती प्याज की खेती मुख्य रूप से मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश तथा बिहार में भी होती है।
प्याज की रोपाई करने से पहले हमे किसी भी नजदीक कृषि अनुसंधान केंद्र पर जाकर मिट्टी के पीएच मान को चेक करा लेना चाहिए। अगर भूमि का पीएच मान 5.5-6.5 के बीच में रहता है, तो मुख्यतः आप इसकी बुवाई आराम से कर सकते है | एक हेक्टेयर प्याज को लगाने के लिए मुख्य रूप से 10-12 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है
प्याज के बीज बोने का समय ( SOWNG OF ONION SEED )
मई के अंतिम सप्ताह से जून तक
प्याज का प्रतिरोपण ( TRANSPLANT OF ONION )
प्रतिरोपण के लिए अगस्त का महीना सही होता है |
प्याज के अलगाने का समय ( HARVESTING TIME OF ONION )
दिसम्बर-जनवरी
प्याज की उन्नत किस्में ( IMPROVED VARIETIES OF ONION )
एग्रीफाऊड डाकरेड, बसवंत 780, अरका कल्याण, उपज 19 -20 टन/हें. ।
टिंडा ( ROUND MELON )
टिंडे को इंग्लिश में Round Melon, Round Gourd, Indian Squash भी कहा जाता है| यह उत्तरी भारत गर्मियों की सबसे महत्तवपूर्ण सब्जी में से एक है। टिंडे का मूल स्थान भारत है। टिंडे की फेमिली ( ROUND MELON FAMILY ) कुकरबिटेसी प्रजाति से संबंधित है।इस कारण इसे मुख्य रूप से बरसात में सब्जी की खेती का श्रेय दिया जाता है।इसके कच्चे फल को मुख्य रूप से सब्जी बनाने के लिए प्रयोग में लाया जाता हैं। 100 ग्राम बिना पके फलों में मुख्य रूप से 1.4% प्रोटीन, वसा 0.4%, कार्बोहाइड्रेट 3.4%, कैरोटीन 13 मि.ग्रा. और 18 मि.ग्रा. विटामिन इत्यादि होते हैं।
इसकी खेती के लिए बलुई मिट्टी अच्छी मानी जाती है। जिसका पीएच 5.5-7 के मध्य होना चाहिए जबकि आजकल दोमट्ट मिट्टी में भी इसकी मुख्य रूप से खेती की जाती है।
टिंडा की बुवाई का समय ( SOWING TIME OF ROUND MELON )
टिंडा की बुवाई का समय फरवरी से मार्च और जून से जुलाई का होता है।
टिंडा उन्नत किस्में ( IMPROVED VARIETIES OF ROUND MELON )
टिंडा एस 48, टिंडा लुधियाना, पंजाब टिंडा-1, अर्का टिंडा, अन्नामलाई टिंडा, मायको टिंडा, स्वाती, बीकानेरी ग्रीन, हिसार चयन 1, एस 22
NOTE- हाल ही में जारी हुए आंकड़ों के अनुसार टिंडे की फसल से प्रति हेक्टेयर 80-120 क्विंटल की पैदावार की जा रही है, और इतना ही नहीं पिछले कुछ समय से बाजार में इसकी मांग और कीमत भी अच्छी बनी हुई है। इसलिए टिंडे की खेती बरसात में सब्जी की खेती में सबसे अच्छी मानी जाती है।
करेला ( BITTER GOURD )
करेला की बात करे तो यह बरसात में सब्जी की खेती करने वाली सब्जियों में से एक महत्वपूर्ण सब्जी है, क्योंकि करेला कई बीमारियों के इलाज में अपना महत्वपूर्ण योगदान देता है। खासकर जो भी लोग मधुमेह के रोगी है उनके लिए यह एक वरदान का रूप है। कुछ जगह के लोग इसे कड़वा तरबूज भी कहते है, क्योंकि इसका स्वाद बहुत कड़वा होता है, और इसकी कड़वाहट का मुख्य कारण एल्कालॉइड मोमोर्डिसिन होता है।
देश भर के बाज़ारों में औषधीय गुणों की वजह से करेला की माँग हमेशा रहती है। आज बात करे तो करेला की ऐसी किस्में मौजूद हैं, जिसका उत्पादन अधिक के साथ ही साथ हम इसे कहीं भी और किसी भी मौसम में उगाया सकते है। करेले में अनेक खनिज, प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट के साथ ही साथ विटामिन ‘ए’ और ‘सी’ भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। करेला मुख्य रूप से पाचन, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और गठिया जैसे रोगियों के लिए बहुत ज्यादा लाभकारी है |
करेले का बुवाई का समय ( SOWING TIME OF BITTER GOURD )
गर्मी के मौसम की फसल ले लिये करेले का बुवाई जनवरी से मार्च के बीच जाती है ।
बारिश के मौसम की फसल ले लिये करेले का बुवाई जून से जुलाई के बीच की जाती है ।
करेले की उन्नत किस्में ( IMPROVED VARIETIES BITTER GOURD )
काशी उर्वशी, पूसा विशेष, प्रिया कल्यानपुर सोना, पूसा दौ मौसमी, अर्का हरित, विवेक भारत में करेले की प्रमुख किस्में- ग्रीन लांग, फैजाबाद स्माल, जोनपुरी, झलारी, सुपर कटाई, सफ़ेद लांग, ऑल सीजन, हिरकारी, भाग्य सुरूचि , मेघा – एफ 1, वरून – 1 पूनम, तीजारावी, अमन नं.- 24, नन्हा क्र. – 13.।
बरसात में सब्जी की खेती में करेला आमतौर पर 2-2.5 सेमी. की दूरी पर 2-3 बीजों को एक साथ बोया जाता है। बुवाई के 2 महीनों के बाद ही करेले तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं। इसकी तुड़ाई मुख्य रूप से 3-4 दिनों के अंतराल में करते रहना चाहिए, जिससे की करेले के फल कहीं जल्दी न पक जाएँ। करेले की खेती से आप मुख्य रूप से 80-90 क्विंटल/हेक्टेयर फसल का उत्पादन कर सकते हैं।
मिर्च ( CHILLI )
भारत में मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उड़ीसा, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल तथा राजस्थान प्रमुख मिर्च उत्पादक राज्य हैं | जिनसे कुल उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत भाग प्राप्त होता है मिर्च की फसल मुख्य रूप से एक नकदी फसल है, जिससे अधिक मात्रा में लाभ कमाया जा सकता है। बरसात में सब्जी की खेती में मिर्च की खेती करना एक बहुत ही लाभकारी व्यवसाय होता है | हरी मिर्च की खेती के लिए आमतौर पर गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है, और साथ ही अगर हवा में नमी हो तो इसकी उत्पादन बहुत होती है। मुख्य रूप से बात करे जहा 100 सेंटीमीटर वर्षा वाले क्षेत्र है वहाँ पर मिर्च की सबसे ज्यादा खेती की जाती है।
मिट्टी की बात करें तो इसके लिए दोमट्ट और बलुई मिट्टी बढ़िया रहती है। पैदावार की बात जाएँ तो आप प्रति हेक्टेयर 150-200 क्विंटल हरी मिर्च का उत्पादन कर सकते है। साथ ही साथ आप 30 क्विंटल/हेक्टेयर लाल मिर्च का उत्पादन कर सकते है। इस तरह से बरसात में सब्जी में मिर्च हमेशा फायदे का सौदा रहती है।
मिर्च के रोपाई का समय ( SOWING TIME OF CHILLI )
मिर्च की रोपाई मुख्य रूप से वर्षा, शरद, ग्रीष्म तीनों मौसम मे की जा सकती है। लेकिन मिर्च की मुख्य फसल खरीफ (जून-अक्टू.) में ही तैयार की जाती है। मिर्च की रोपाई जून.-जूलाई मे, शरद ऋतु की फसल की रोपाई सितम्बर-अक्टूबर तथा ग्रीष्म कालीन फसल की रोपाई फर-मार्च में सामान्य रूप से की जाती है।
मिर्च की उन्नत किस्में ( IMPROVED VARIETIES OF CHILLI )
काशी अनमोल ( उपज 250 क्वि / हे ), काशी विश्वनाथ ( उपज 220 क्वि / हे ), जवाहर मिर्च – 283 ( उपज 80 क्वि / हे हरी मिर्च ) जवाहर मिर्च -218 ( उपज 18-20 क्वि / हे सूखी मिर्च ) अर्का सुफल ( उपज 250 क्वि / हे ) तथा संकर किस्म काशी अर्ली (उपज 300-350 क्वि / हे ), काषी सुर्ख या काशी हरिता (उपज 300 क्वि / हे ) इत्यादि |
बैंगन ( BRIJAL )
बैंगन की खेती मुख्य रूप से अधिक ऊंचाई वाले स्थानों को छोड़कर लगभग भारत के सभी क्षेत्रों में प्रमुख सब्जी की फसल के रूप में की जाती है। भारत में बैंगन का बहुत उत्पादन होता है, पूरे विश्व में चीन के बाद भारत में सबसे ज्यादा बैंगन का उत्पादन किया जाता है। बैंगन मुख्य रूप से मानव शरीर के लिए बहुत ही लाभकारी है | बैंगन की खेती मुख्य रूप से बरसात में सब्जी की खेती में किसानों को एक बहुत अच्छा फायदा पहुंचाती है | मुख्य रूप से 5-7 पीएच और उपजाऊ मिट्टी इसकी खेती के लिए बहुत बढ़िया मानी जाती है।
इसकी उत्पादन मुख्य रूप से शुष्क और आद्र जलवायु अच्छी होती है। इसके साथ ही साथ बैंगन की खेती के लिए मुख्य रूप से मध्यम बारिश की आवश्यकता होती है। बैंगन के पौधों की रोपाई के समय तापमान मुख्य रूप से 20 डिग्री के आसपास होना चाहिए। बैंगन की फसल से प्रति हेक्टेयर मुख्य रूप से 400-500 क्विंटल फसल प्राप्त की जा सकती है |
बैंगन के बीज की बुआई ( SOWING OF BRIJAL SEED )
शरदकालीन -जुलाई-अगस्त
ग्रीष्मकालीन -जनवरी-फरवरी
वर्षाकालीन -अप्रैल
बैंगन की उन्नत किस्में ( IMPROVED VARIETIES OF BRIJAL )
लम्बे फल वाली किस्मे मुख्य रूप से पूसा क्रांती, पूसा पर्पिल लांग, पी एच -4, पूसा अनमोल , पूसा पर्पिल, क्लस्टर,पन्त बैगन, 126-5, पन्त बैगन-61, पंजाब चमकिला,पन्त सम्राट,अकृशील आजाद क्रांती , कल्याणपुर, विजय,कल्याणपुर टा-1,2 इत्यादी है। गोल फल वाली किस्मे की मुख्य पूसा पर्पिल, पंजाब बहार,टाईप-3,बी आर 112, पन्त बैगन 91-2, कल्याणपुर टा-4, इत्यादी है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न ( FAQs )
प्रश्न-जून जुलाई में कौन सी सब्जी उगाई जाती है?
उतर- जून-जुलाई के माह में खेती के लिये ( बरसात में सब्जी की खेती ) आप मुख्य रूप से बैंगन, मिर्च, अगेती फूलगोभी की पौध लगा सकते हैं, और साथ ही साथ भिंडी की बुवाई के लिए भी ये उपयुक्त समय है। इसके अलावा आप लौकी, खीरा, चिकनी तोरी, आरा तोरी, करेला व टिंडा की बुवाई भी इस माह में आसानी से कर सकते है |
प्रश्न-सबसे जल्दी कौन सी सब्जी होती है?
उतर- आएये जानते है कुछ सब्जियों के नाम जो सबसे जल्दी तैयार हो जाती है |
मूली ( Radish )
पालक ( Spinach )
कोहलबी ( Kohlbi )
चुकंदर ( Beetroot )
खीरा ( Cucumber )
हरी सेम ( Green Beans )
शलजम ( Turnip )
गाजर ( Carrots )
प्रश्न-बरसात के मौसम में कौन सी फसल उगाई जाती है?
उतर- इस मौसम में मुख्य रूप से कद्दू, ब्रोकोली, पालक, शकरकंद, खीरा, मकई, बैंगन, अदरक, लहसुन, चुकंदर, और सब्जियों का सेवन उचित होता है। इसके साथ ही साथ पालक, भिंडी, ककड़ी, चावली, गवार, मकई, शिमलामिर्च, शकरकंद, आलू, लौकी, करेला, गाजर आदि की खेती करना लाभदायक होता है।